Su… Sudhi Vathmeekam में एक रोचक दृश्य है. मुख्य अभिनेता सुधी एक दुकान में जाकर
अंडा (मलयालम में कोझीमुट्टा) खरीदने की कोशिश करता है, लेकिन अंत में गोभी लेना पड़ता
है. यह दृश्य हकलाने वाले व्यक्तिओं की समस्याओं को अच्छी तरह से दर्शकों को
परिचित करवाता है. दृश्य में दुकानदार जल्दी में है, और कहता है कि तुम क्या चाहते
हो? अभिनेता बोलने के लिए बहुत संघर्ष करता है, तभी उसके पास खड़ी महिला हंसने लगती
है. वह फिर से बोलने की भरसक कोशिश करता है और अब दुकानदार अपनी बेचैनी दिखता है. सुधी
इतने सारे प्रयासों के बाद भी “कोझीमुट्टा” नहीं बोल पाता. आखिर में दुकानदार सुधी की मदद करने का
फैसला करता है. और कहता है- क्या तुम गोभी मांग रहे हो? सुधी सोचता है की अब बहुत
हो गया और गोभी खरीद लेता है.
किन-किन जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए तो यह दृश्य सिखाता है कि आपको क्या-क्या
नहीं करना चाहिए! अभी हाल में मैंने एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पढ़ा जो सुन-बोल
नहीं सकता, और समाज में उसके साथ काफी
सम्मानजनक व्यवहार किया जाता है। वही हकलाने वाले व्यक्ति को समाज में बहुत ही
अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग हकलाने वाले व्यक्ति की
हकलाहट को सुनकर हंसने लगते हैं. लोग यह नहीं समझ पाते कि इसका हकलाने वाले व्यक्ति के
आत्मविश्वास पर कितना बुरा असर होगा? हकलाने वाले व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक-एक
शब्द से संघर्ष करना पड़ता है। कृपया उन्हें वैसा ही सम्मान दें जैसा आप दूसरों से
अपने लिए चाहते हैं।
से बातचीत करते समय धैर्य रखें। उनकी बात ध्यान से सुनें
और सामान्य आई कान्टेक्ट (आँख
से संपर्क) बनाएं। अपनी भावभंगिमाए शब्दों
और प्रतिक्रिया से ऐसा कतई प्रदर्शित न करें कि आप असहज महसूस कर रहे
हैं। उन्हें बोलने का पूरा समय दें। साथ ही किसी तरह की सलाह न दें जैसे.
धीरे बोलो, गहरी सांस लो। आपके ऐसा करने से संवाद की
प्रक्रिया बदतर हो सकती है। यदि बातचीत करते समय स्थिति अनुकूल
होगी तो हकलाने वाला व्यक्ति सहज होकर अच्छी तरह से बोल पाएगा।
इसलिए उसके शब्द या वाक्य को पूर्ण करने में
थोड़ा मदद कर दी जाए, उसके शब्द या
वाक्य को बोलकर! ऐसा कदापि न करें। इससे हकलाने वाले के मन में यह भावना आएगी की
वह अपने विचारों को अभिव्यक्त करने में असफल रहा, उसका आत्मविश्वास प्रभावित होगा। उसे अपनी बात पूरी कहने का
मौका दें और यदि आप उसकी बात समझ नहीं पाएं हों तो दोबारा कहने का अनुरोध करें। यह
हकलाने वाले के शब्दों और वाक्यों को दोहराने से अच्छा है। कई बार बोलने के लिए
लगातार संघर्ष करते समय उसे आपके द्वारा बोले गए शब्दों को स्वीकार करना पड़ता है,
भले ही वह जो बोलना चाहता था और आप जो समझ रहे
हैं उसमें काफी अंतर हो। इसी स्थिति को फिल्म में दिखाया गया है। दुकानदार बहुत
परेशान हो उठता है और सुधी आखिर में, दुकानदार के सुझाने पर गोभी खरीदने का निर्णय
लेता है।
हकलाने वाले व्यक्ति भी सामान्य परिस्थितियों में अच्छी तरह बातचीत कर पाएंगे और
सामान्य व सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे।
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धन्यवाद अमित – हिंदी भाषियों के लिए एक बड़ी सेवा है..
कुछ पोस्ट हिंदी में भी अछे लगते है और लम्बे समय तक प्रासंगिक रहेंगे..