कहानी बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे . सरोवर के बीचों -बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था . खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी . एक दिन […]
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पथरी का चमत्कारिक ईलाज
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ट्रेन का यादगार सफ़र . . . !
देहरादून वर्कशॉप में शामिल होकर वापस लौटते समय हम लोगों ने “मैं हकलाता हूँ” वाला बैच शर्ट पर लगाया था। ट्रेन पर हमारी सामने वाली बर्थ में एक सज्जन अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे। वे हम लोगों को बाउंसिंग में बात करते हुए ध्यान से सुन रहे थे, लेकिन उन्होंने हमसे इस बारे […]
मंगलमय दीपावली . . . !
दीपावली भारतीय समाज का प्रतिनिधि पर्व है। यह पर्व खुशिओं की सौगात लेकर आता है। हर कोई उत्साह और उमंग का अनुभव करता है। इस अवसर पर दीपक का खास महत्त्व है। इसके बिना दिवाली अधूरी है। दिया जलता है, संसार को रोशन करने के लिए, लेकिन उसे कई चुनौतिओं का सामना करना पड़ता है। […]
ओशो के विचार – सुखी रहने का सफल मंत्र
दुःख पर ध्यान दोगे तो हमेशा दुःख रहोगे, सुख पर ध्यान देना शुरू करो। दअसल, तुम जिस पर ध्यान देते हो वह चीज सक्रिय हो जाती है। ध्यान सबसे बड़ी कुंजी है। दुख को त्यागो। लगता है कि तुम दुख में मजा लेने वाले हो, तुम्हें कष्ट से प्रेम है। दुख से लगाव होना एक रोग है, यह […]
बरसों के पुराने ज़ख्म पे मरहम लगा सा है
Herbertpur communication workshop (27-29 oct.) मेरी तीसरी TISA workshop थी । TISA की हर workshop मुझे आईना दिखाती है कि अभी मैं कहाँ खडा हूँ और किस दिशा में कितना काम (either on speech disorder or on social disorder) करना अभी शेष है । सचिन सर ने बताया कि बंद कमरे में अकेले मे जब PWS अपने आप से बात करता है तब तो नहीं हकलाता वो तो लोगो से मेलजोल में हकलाता है इसलिये ये एक बीमारी (speech disorder) तो नहीं है । क्या ऐसी बीमारी की दवा हो सकती है जो अकेले में (बंद कमरे में) ठीक है और जैसे ही लोगों के बीच आये बीमारी शुरु हो जाती है । इसलिये हकलाहट एक speech disorder से ज्यादा एक social disorder है । डा. मार्था ने बताया कि बचपन मे जब कोई घटना घटती है तो उसकी प्रतिक्रिया मे हम जिस प्रकार की भावनाएं emotions प्रकट करते हैं , आगे जाकर वो भावनाएं उस घटना के लिये स्वतः ही प्रकट होने लग जाती है, एक fix pattern बन जाता है । और वो भावनाएं अवचेतन मन से हमें नियंत्रित करने लगती हैं । now that emotions controls us, instead of we should control that event. Like in stammering case, in childhood Someone laughed on our stammering and we felt shame, hatred, fear or guilty. Slowly slowly this pattern fixed in […]
राह दिखाता है बुरा वक्त . . .
बुरा वक्त ही हमको जीवन में सफल होने के रास्ते दिखाता है. जबकि अच्छा वक्त ऐसा कर पाने में खुद तो नाकाम साबित होता ही है, साथ ही इंसान को भी निकम्मा बना देता है. क्योंकि जब किसी का अच्छा वक्त चल रहा होता है तो वह आराम तलबी का शिकार हो जाता है. बस […]
जिन्दगी ने मोड़ लिया कैसा ,हमने सोचा नही था कभी ऐसा, आता नही यकीं क्या से क्या हो गया, बदला बदला सा ये जहा हो गया !!!
कॉलेज में कभी senior से खुल कर बात नही किया | की कही वो मुझसे कुछ पुछ न ले | सेमेस्टर में क्लास स्टार्ट होने के ७-८ दिन बाद ही जाते थे कही इंट्रो न देना पद जाये | मुझे याद नही है की किसी teacher से कॉलेज में कभी कोई question भी पूछे होंगे […]
मै उड़ने वाला कबूतर हूँ !
पिछले कुछ दिनों से हर माह के आखरी सप्ताह मे मेरे कुछ एक दिन राजधानी दिल्ली स्थित सेंट्रल रेलवे हॉस्पिटल मे ही गुज़रते हैं | मुझे अपने पिताजी की दवाइयाँ लेने और कुछ कागज़ी कार्यवाही के लिए वहाँ जाना होता है | हर माह की तरह इस बार भी मै सेंट्रल हॉस्पिटल के कैंसर विभाग […]
लहरों की तरह आता है भय
मैं अकेला महसूस करता हूँ, जो कि ठीक है, लेकिन मैं भ्रमित हूँ। मैं नहीं जानता कि क्या हो रहा है। मेरे भीतर चीजें बदल रही हैं इसलिए कभी-कभी मैं आतंकित हो जाता हूँ, कभी-कभी अस्थिर अहसास होते हैं। यह स्वाभाविक है। जब कभी तुम आतंकित महसूस करो, बस विश्रांत हो जाओ। इस सत्य को […]
क्या हम आज़ाद हैं . . . ?
१५ अगस्त को हमने देश कि आजादी का जश्न मनाया. खुशी देश कि आज़ादी कि, खुशी खुली हवा में सांस लेने कि, खुशी खुलकर बोलने की . . . ! आजादी के बाद देश के संविधान और क़ानून ने सभी को बराबरी के अधिकार दिए, लेकिन अफसोस हम हकलाने वाले समाज के धाराप्रवाह बोलने कि […]
आप दुनिया के सबसे बेहतर इंसान हैं . . . !
पिछले सप्ताह नई दिल्ली में आयोजित टीसा की संचार कार्यशाला में शामिल होकर मैं ट्रेन से वापस लौट रहा था। सफर बहुत लम्बा था। लगभग 12 घंटे का। सुबह जब मैं ट्रेन के टॉयलेट पर गया तो दीवार पर एक वाक्य लिखा था :- “आप दुनिया के सबसे बेहतर इंसान हैं . . . !” […]
दास्तान-ए-व्याहारिक ज्ञान
“एक दार्शनिक हमेशा पढ़ने में लगे रहते थे। वह लोगों को तात्विक ज्ञान देने का प्रयास भी करते थे। उनके घर के नजदीक ही एक नदी बहती थी। उस नदी में बांध बनाकर एक तालाब बनाया गया था। उसका पानी बहुत साफ था। वह लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया था। लोग उसके किनारे आकर बैठते , उसमें तैरते। लोगों को उसमें तैरते देखकर दार्शनिक का मन भी उसमें तैरने को करता था लेकिन उन्हें तैरना नहीं आता था। जब तालाब में लहरें उठतीं तो उनका मन थिरक उठता।वह सोचते काश इन लहरों में मैं प्रवेश करता और उनकी शीतलता का आनंद लेता। एक दिन उनके एक शिष्य ने उन्हें एक पेटी लाकर दी और बोला , ‘ आपका तैरने का बहुत मन करता है न। आपके लिए मैं एक पेटी लेकर आया हूं।इस पेटी के सहारे आप गहरे पानी में जाकर भी डूबेंगे नहीं , पानी की सतह पर तैरते रहेंगे। ‘ यह देखकर दार्शनिक का मन बल्लियों उछलने लगा। अगले ही दिन वह पेटी लेकर तालाब में कूद गए। ज्यों ही वहकूदे कि अतल गहराई में चले गए। उनके हाथ और पेटी तो पानी की सतह पर आ गए , किंतु वह स्वयं पानी केअंदर ही छ टपटाते रहे। संयोग से एक व्यक्ति उस समय वहां स्नान कर रहा था। दार्शनिक को डूबता देखकर वह तुरंत उनके पास आया और उन्हें किनारे पर ले गया। दार्शनिक घबराए हुए से किनारे पर बैठ गए और बोले , ‘ यह पेटी तो व्यक्ति को पानी में डूबने ही नहीं देती। फिर मैं कैसे डूब गया ?’ इस पर वह व्यक्ति हंसते हुए बोला , ‘ महाराज , जीवन में किताबी ज्ञान के साथ ही व्यवहारिक ज्ञान भी आवश्यकहै। यह पेटी तभी मदद करती है जब इसे पेट पर बांधा जाता है। खाली पेटी हाथ में लेने से ही सुरक्षा नहीं होती। ‘व्यक्ति की बातें सुनकर दार्शनिक को समझ में आ गया कि जीवन में किताबी ज्ञान के साथ – साथ व्यवहारिक ज्ञानभी अनिवार्य है।” ठीक इसी प्रकार स्टेमरिंग को कंट्रोल करने के लिए केवल टेक्निक्स की जानकारी होना ही काफी नहीं है, बल्कि हमें उन टेक्निक्स का अभ्यास होना चाहिए एवं हमें पता होना चाहिए की हम इन टेक्निक्स का उपयोग […]
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ.
वृक्ष हो भले खड़े, हो घने, हो बड़े, एक पत्र छांह भी, मांग मत, मांग मत, मांग मत, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ. तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ. […]
शुक्रिया दिल्ली . . . !
दिल्ली देश कि धड़कन है और इसने हकलाने वालों को अपने दिल कि धडकनों को समझने, और महसूस करने का सुनहरा अवसर दिया. अकसर हकलाने के कारण हम अपने आप से जूझते रहे हैं, लड़ते रहते हैं… लेकिन दिल्ली ने हमें हकलाहट को समझने, उससे दोस्ती करने और सभी चुनौतिओं का डटकर सामना करने का […]
पंख ……….
आज मेरे कदम पहले से तेज़ हो गए थे ……….मैं बार – बार अपने दोस्तों से आगे निकल जा रहा था …………आज टिकट काउंटर पर बैठा व्यक्ति मुझे अपना दोस्त लग रहा था ………आज मुझे अपना हकलाना प्यारा […]
दूसरों के मन को समझें . . . !
“मैं बहुत अकेला हूँ. कोई मेरी बात नहीं सुनता. कोई मेरी मदद नहीं करता. लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं, मुझे अपमानित करते हैं.” हममें से अधिकतर लोगों के मन में इस तरह के गैर जरूरी विचार आते रहते हैं. कभी किसी ने फ़ोन रिसीव नहीं किया, कभी कोई आपके एस.एम.एस. का रिपलाय नहीं कर पाया, […]
अपना जीवन दूसरों को ना सौपें . . . !
हमारे जीवन में कई सारी चुनौतियां आती हैं. अकसर हम दूसरों की कही बातों, व्यवहार और उनके विचारों से प्रभावित होकर दुखी हों जाते हैं. हार जाते हैं हैं, टूट जाते हैं. जब हताशा और निराशा अधिक बढ़ जाती है तो कभी हम कोई आत्मघाती कदम उठाने का विचार करने लगते हैं. अभी मै जब […]
जो बोलें सार्थक बोलें . . . !
लगभग दो साल पहले एक बार आफिस में शाम को एक मित्र मिलने आए. मैं उनसे ढाई घंटे तक ढेर सारी बातें करता रहा. इसके बाद वे अपने घर चले गए. इसके बाद मैंने महसूस किया कि मेरा मुंह ज्यादा बोलने के कारण थोडा दर्द कर रहा है, मेरी दिनचर्या में ढाई घंटे कि देर हो […]
हम हकलाते हुए भी बेहतर जिन्दगी जी सकते हैं . . . !!!
पिछले दिनों इस ब्लॉग में मेरी एक पोस्ट पर एक पाठक ने एक टिप्पणी में कुछ सवाल किए. जैसे – क्या ऐसा नही हो सकता की हकलाने वाला व्यक्ति, हकलाते हुए भी अपना भाषण पूरा करे, और हकलाते हुए ही चुनाव जीत जाए !! क्या जीत पाने के लिए हकलाने के ऊपर जीत पाना आवश्यक है? ये […]