पंख ……….

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 

 

आज मेरे कदम पहले से तेज़ हो गए थे ……….मैं बार – बार अपने दोस्तों से आगे निकल जा रहा था …………आज टिकट काउंटर पर बैठा व्यक्ति मुझे अपना दोस्त लग रहा था ………आज मुझे अपना  हकलाना प्यारा लग रहा था।………….आज मुझे लोगो से शिकायत नहीं हो रही थी …….आज दुनिया पहले से जादा खुबसूरत लग रही थी।……..आज  जवाहर लाल नेहरु मेट्रो स्टेशन से सेक्टर  15 कब आ गया पता ही  नहीं लगा …….आज मुझे सड़क पर लाल लाइट के बजाय  हरी लाइट जादा साफ़ दिखाई पड़  रही थी ……..स्टेशन से कब अपने बिल्डिंग के नीचे वाली पान की दुकान पर आ गया पता ही नहीं चला  ………..क्या  रस्ते छोटे हो गए थे?…… या मेरे पैरो में पंख लग गए थे?…….. आज रास्ते  के वाहनों  की आवाज ने मुझे  परेशान भी नहीं किया …..आज मैं तीसरे  फ़लूर पे अपने  कमरे में पहुचने के बजाए  5 मंजिला ईमारत की छत पे पहुच गया।..ये कैसे हुआ? ????……क्या सीडियां  कम हो गयी थी?…… या मैं उड़  के पहुच गया था? …आज बहुत दिनों बाद अपने घर पे बात करने का मन कर रहा था।…अपने पापा से कहने का मन कर रहा था की पापा चिंता मत कीजिये सब  ठीक हो जायेगा।…..ये क्या हो गया है?.. ये मैं कैसी  बाते कर रहा हु ? ..कहीं मैं पागल तो नहीं हो गया ??…शायद मेरे अन्दर का लेखक आज फिर से जाग गया है!… आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग लिखने का मन कर रहा है ..पर ये क्या ????…मेरे शरीर पर पहने हुए कपडे मुझे उतारना  मुस्किल हो गया है  …मैंने लैपटॉप ओन  कर लिया है …पर शायद  लैपटॉप की  प्रोस्सेसिंग धीमी हो गयी है  ………बहुत टाइम लग रहा है ………इन्तजार कर पाना मुस्किल है।……ब्लॉगर डैस बोर्ड  खोल लिया है पर कर्सर  के appear   होने का  इन्तजार नहीं कर पा  रहा हु।…..हाँ अब मैं लिख सकता हू ।……पर लिखने से पहले मुझे अपने सवालो के जवाब मिलना जरुरी है।..

तेज़  चलते हुये  अपने कदमो  से मैंने पूछा . …भाई क्या बात है? आज इतनी जल्द्वाजी  क्यों ?…कदमो ने कहा।.आज आप का उतशाह आपके बिचारो से जादा तेज है …आप का शारीर इस उर्जा को संभाल  नहीं  पा रहा है।..हम तो बस इस उर्जा को  कंट्रोल   करने की कोसिस कर रहे है।….

कहाँ से आई  ये उर्जा???? कहाँ  से आया एसा उत्साह?????…याद आया आज मैं देहली में  इंडियन शोसल इंस्टिट्यूट में हुई तीसा  की दो दिनों की  केमिउनिकेसन वर्कशॉप  से लोट  के  आया हू !!!!!!

Post Author: Harish Usgaonker

9 thoughts on “पंख ……….

    admin

    (July 15, 2012 - 4:39 pm)

    Don't let the energy die Amit. Keep the fire burning. This is the only indication that you are on the path to recovery. All the best.

    Tabish Javed

    (July 15, 2012 - 5:42 pm)

    great blog….read it thrice

    Sachin

    (July 16, 2012 - 2:32 am)

    Beautiful.. Inspire yourself and others like this..

    admin

    (July 16, 2012 - 2:06 pm)

    अमित जी, बधाई. आपसे मिलकर और अब हिंदी में आपकी पोस्ट पढ़कर बहुत खुशी हों रही है.

    dr vijay singh

    (July 17, 2012 - 3:07 pm)

    I read your article many times.It is very energatic

    dr vijay singh

    (July 17, 2012 - 3:14 pm)

    I am felling very energatic after reading this

    admin

    (July 17, 2012 - 3:14 pm)

    jitender gupta pratham like this.

    admin

    (July 17, 2012 - 5:50 pm)

    Wow…Dekha workshop ka kamal..bola tha na..An idea can change your life!!

    admin

    (July 18, 2012 - 4:10 am)

    i can understand ur essence jintendra-))…thanks to all

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