हकलाना एक फिल्म के दृष्टिकोण से

दोस्तों  कल मैंने पी. के. फिल्म देखी  जिसमे एक एलियन धरती पे आता है और यहाँ के लोगो , संस्कृति , धर्म, समाज को किस तरह से  देखता है तथा उस पर कैसे इसका प्रभाव पड़ता है इस फिल्म को मै हकलाने से जोड़कर कुछ देर तक सोचा तो मुझे कुछ इस तरह के विचार […]

ऐसा क्यों होता है ?

आपने मीटिंग में देखा होगा की एक  मिनट का टाइम दिया जाता है अपना परिचय देने के लिए । उम्मीद की जाती है की वो अपना नाम, कहा से है, शिक्षा , क्या करते है  बतायेंगे  ? इतना बताते  बताते एक मिनट हो जाता है । और दूसरे का टर्न आ जायेगा । लेकिन ऐसा […]

हकलाहट पर इंग्लिश में बातचीत का यादगार अनुभव

कल 6 जनवरी 2015 को मैं अपने आफिस में बैठा था। हमारा आफिस सतना शहर से 25 किलोमीटर दूर एक ग्रामीण क्षेत्र रामपुर बाघेलान में है। दोपहर के समय दो युवक आए। उन्हें देखकर मैं समझ गया कि ये लोग कुछ सामान बेचने के लिए आए हुए हैं। उनमें से एक युवक ने इंग्लिश में […]

स्वीकार्यता को जीवन में व्यापक रूप में अपनाएं . . .

हम अपने जीवन में सुख की कल्पना दूसरों को देखकर करते हैं। दूसरे लोगों ने अपने जीवन में क्या-क्या हासिल किया है, यह देखकर हम यह अनुमान लगाते हैं कि हम कितने सुखी है? हकलाहट के बारे में भी हमारा नजरिया ऐसाी ही है। हम अन्य लोगों को धाराप्रवाह बोलते हुए सुनकर यह सोचते हैं […]

हकलाहट का कारण शारीरिक?

हकलाहट का कारण अब तक मनोवैज्ञानिक ही समझा जाता था अमरीकी शोधकर्तआओं ने कहा है कि हकलाने का कारण हो सकता है मानसिक न हो कर शारीरिक हो. इस खोज से आगे हो सकता है कि हकलाने की दवा निकाली जा सके. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जेराल्ड मैग्वायर का मानना है कि हकलाना, मिर्गी या […]

Acceptence : जीवन में चुनौतियां देने के लिए ईश्वर का शुक्रिया

अब 10 महीने हो गए मेरे पिताजी को एक्सीडेन्ट के कारण बेहोश हुए। अपने पिता को पल-पल जीवन के लिए संघर्ष करते हुए देखना बहुत ही दुःखद अहसास कराता है हर दिन। फिर भी जीवन की इस चुनौती को मैंने स्वीकार कर लिया है, आत्मसात कर लिया है। एक छोटे बच्चे की तरह मेरे पिताजी […]

जीवन को उत्सव बना लो -ओशो

तुम जहां हो, वहीं से यात्रा शुरू करनी पड़ेगी। अब तुम बैठे मूलाधार में और सहस्रार की कल्पना करोगे, तो सब झूठ हो जाएगा।     फिर इसमें दुखी होने का भी कारण नहीं, क्योंकि जो जहां है वहीं से यात्रा शुरू हो सकती है। इसमें चिंतित भी मत हो जाना कि अरे, दूसरे मुझसे […]

पटना में स्वयं सहायता समूह की बैठक सम्पन्न

पटना । रविवार, 9 नवम्बर 2014 को बिहार की राजधानी पटना में टीसा के नवगठित स्वयं सहायता समूह की पहली बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वयं सहायता समूह के समन्वयक सूरजचन्द्र देव और मोहित कुमार शामिल हुए। बैठक की शुरूआत में अपना परिचय दिया गया। इसके बाद दोनों सदस्यों ने हकलाहट के बारे में […]

A great acceptence . . . ! (मुझे गर्व है कि मैं हकलाता हूं . . .)

कूपर्टिनो। एप्पल कंपनी के सीईओ टिम कुक समलैंगिक हैं। मानवाधिकार और समानता मुद्दे के पक्ष में लिखे एक लेख में उन्होंने यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की।ब्‍लूमबर्ग बिजनेसवीक में गुरुवार को प्रकाशित इस लेख में (क्लिक कर पढ़ें कुक द्वारा लिखा लेख) कुक ने लिखा कि वो डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग से प्रेरित हैं। […]

NC outcomes in my life . . .

3-5 अक्टूबर 2014 को खण्डाला (पुणे) में सम्पन्न टीसा की नेशनल कान्फ्रेन्स में शामिल होने का शुभ अवसर मुझे भी प्राप्त हुआ। यह एन.सी. मेरे लिए बहुत ही यादगार और रोचक अनुभवों से भरी रही। हकलाहट के साथ ही संचार और जीवन के कई अनछुए पहलुओं को नजदीक से देखने, जानने, समझने और महसूस करने […]

हकलाहट के साथ विकसित अनचाही आदतों पर नियंत्रण करें

By – विजयकुमार, देहरादून हकलाहट के साथ-साथ हमारे शरीर पर कुछ दूसरे प्रभाव भी दिखाई देने लगते हैं। हाव-भाव आसामान्य होना, सिर, आंख, नाक, हाथ-पैर आदि अंगों की प्रतिक्रिया अलग होना। ये सभी संकेत हमारे संचार पर बुरा प्रभाव डालते हैं। जब हम हकलाहट पर वर्क करना शुरू करते हैं तो सेकेण्डरी बिहेवियर पर ध्यान […]

NC 2014 : हकलाने वाली महिलाओं के सामने हैं चुनौतियां . . .

मेरा Jacquelyn Revere नाम है। मैं संयुक्त राज्य अमेरिका से हूं। कहने को तो हकलाने वाली महिलाओं की सुख्या पुरूषों की तुलना में काफी कम है, लेकिन चुनौतियां ढेरों हैं। भारत में आकर इस एन.सी. में मैंने देखा कि इतनी कम संख्या में हकलाने वाली युवतियां आई हुई हैं। निश्चित ही परिवार की बंदिशें और […]

NC 2014 : बेहतर संचार के लिए जरूरी है सही भाषा

अमेरिका से आई प्रतिभागी जैकलिन के साथ बातचीत । फोटो – जगबीर । बचपन में अक्सर विदेशी पर्यटकों को देखकर मैं बहुत आकर्षित होता था। उन्हें दूसरे ग्रह से आया हुआ प्राणी समझता रहा। कभी बात करना तो दूर की बात है। टीसा की चैथी नेशनल कांफ्रेन्स के दौरान पहले ही दिन सभी प्रतिभागियों को […]

देखो देखें ये जमाना……पंछी उड़ा जाए रे

आज कल टीवी पर होंडा की एक Advertisement बहुत फेमस हो चली है..मैसेज दे रही है….. “देखो देखे ये जमाना ….पंछी उड़ा जाये रे…” जब भी येऐड मेरा भतीजा देखता है…थोड़ा surprisingly आँखो से देखता है। एक दिन पूछने लगा .. काका हम बाइक से कैसे उड सकते है ? ये प्रश्न से मै थोड़ा […]

NC 2014 : हकलाहट को स्वीकार करना है जरूरी . . .

अमेरिका से आए प्रतिभागी रूबिन के साथ एक रोचक इंटरव्यू। मे-मे-मेरा  नाम Reuben Schuff है। मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के नार्थ कैरोलिना स्थित एक कम्पनी में एयरोनाटिकल इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहा हूं। मुझे याद नहीं की जीवन में पहली बार हकलाहट कब हुई। मेरे पेरेन्ट्स हकलाहट के बारे में बातचीत नहीं करते थे। […]

NC 2014 : व्यक्तित्व विकास का मंच है टीसा

उत्कर्ष त्रिपाठी अपने पिता अरविन्दकुमार त्रिपाठी के साथ. मेरा नाम अरविन्दकुमार त्रिपाठी है। मैं केन्द्रीय विद्यालय, कानपुर देहात में लेक्चचर के पद पर कार्यरत हूं। हमारा परिवार सामान्य पृष्ठभूमि का है। मैं अपने बेटे उत्कर्ष को शुरू से ही इंजीनियर बनाना चाहता था। मेरा जाब ऐसा था कि बेटे के साथ ज्यादा समय रहने का […]

NC 2014 : संचार के लिए जरूरी है धैर्य से सुनना!

मेरा नाम प्रियंका श्रीवास्तव है। मैं मुम्बई स्थित एक कम्पनी में आईटी प्रोफेशनल के रूप में जाब कर रही हूं। मैं हकलाती नहीं हूं, लेकिन हकलाने वाले लोगों की मदद करना चाहती हूं। मुझे खण्डाला (पुणे) में टीसा की नेशनल कांन्फ्रेन्स आयोजित होने की जानकारी मिली तो मुझे लगा कि एक बार जाकर हकलाने वाले […]

NC 2014 : हकलाहट और भाषा संचार में बाधक नहीं . . .

यूक्रेन निवासी Mr. Rachel Sergey पिछले दिनों टीसा की नेशनल कांफ्रेन्स में शामिल हुए। यहां पेश है उनसे हुई बातचीत के सम्पादित अंश –बैंगलौर में एक चैरिटी स्कूल में वालेन्टियर टीचर के रूप में कार्य करने का मुझे अवसर मिला है। मैं इस स्कूल में बच्चों को ड्रामा, योगा, विज्ञान और कला विषय सिखाता हूं। […]

NC 2014 : प्रतिभागियों के फीडबैक

टीसा की 4 नेशनल कांफ्रेन्स पुणे स्थित झारा रिसोर्ट, खण्डाला में 3-5 October, 2014 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। कुछ प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया इस प्रकार रही –  1. यहां आकर कई सफल हकलाने वाले लोगों को देखकर प्रेरणा मिली। पहले ऐसा लगता था कि दुनिया में हकलाने वाला मैं ही अकेला हूं। नेशनल कांफ्रेन्स ने वाकई सकारात्मक […]

Random acts of kindness…

This was a short address in Hindi by sachin to set the tone for the next three days ; an appeal to view stammering – and everything else in life – in a bigger picture – of finding fulfillment by serving others – not as a favor, but as a service to our larger Self. Here […]