दोस्तों, मेरा नाम कमल है। मैं कानपुर में रहता हूं और बी.टेक. का छात्र हूं।
मेरा जन्म यु पी के कानपूर में हुआ। जबसे मैंने बोलना सीखा तब से हकलाता हूं। मेरी मम्मी को लोग अक्सर कहते थे कि अपने आप हकलाना ठीक हो जाएगा, चिन्ता न करें। परिवार में मेरे पापा और मेरे बड़े पापा दोनों हकलाते हैं।
मेरे पापा को बहुत गुस्सा आता है। इसलिए आज भी उनसे ज्यादा बात नहीं करता। मेरे पापा ने मुझे कभी बीटा कहके नहीं पुकारा. मेरी मम्मी बहुत अच्छी हैं, मेरी हर बात को समझती हैं। जब मेरा स्कूल में एडमीशन करवाया तो पहले साल बहुत डरा हुआ था। कभी-कभी तो स्कूल के लिए रवाना होता और डर के कारण वापस घर आ जाता। उस समय बहाना करता कि स्कूल का गेट बंद है, मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। जब मैं चौथी कक्षा में था तो एक शिक्षक बहुत गुस्ते वाले थे। मैं उनसे बहुत डरता था। एक बार तो उन्होंने इतना मारा कि उसके बाद कभी भी मैंने उनका दिया होमवर्क अधूरा नहीं छोड़ा, हमेशा समय पर पूरा करता था। उनके प्रति मेरे मन में डर बैठ गया था।
पांचवीं और छठवीं कक्षा तक परीक्षा में मार्क्स बहुत ही अच्छे आते थे, पर धीरे-धीरे यह प्रगति कम होती रही। नवमीं कक्षा तक आते-आते तो फेल भी होने लगा था। स्कूल की परीक्षा में नकल करने के लिए सामग्री साथ लेकर जाता था। एक बार तो मुझे पकड़ लिया गया। उसके बाद पापा को फोन पर जानकारी दी गई। घर पहुंचते ही पापा ने इतना मारा की पूछो मत।
मुझे खुद को साबित करना था इसलिए नकल करने का विचार आया था मन में। मुझे स्कूल में सब बच्चे चिढ़ाते थे, लेकिन मैं उनको कुछ बोल ही नहीं पाता था। आखिर मैंने काॅलेज में एडमीशन लिया। उस समय अंदर से डर लगा रहा कि पता नहीं क्या होगा। पहले साल तो मैंने बहुत उत्साह के साथ पढ़ाई की, लेकिन जैसे ही दूसरे साल में आया तो उत्साह कम हो गया। चौथे सेमेस्टर में तो काॅलेज जाना ही छोड़ दिया। उसी समय मैंने यूट्यूब पर हकलाहट को 2 महीने में ठीक करने का एक वीडियो देखा, जिसमें कई उपाय बताए गए थे। मैं जोश में आ गया। लगातार ढाई महीने पर अभ्यास किया, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। मैं खुद पर हंसने लगा कि क्यों नहीं ठीक हो पाया? उसके पहले मैंने 6 महीने की स्पीच थैरेपी लिया और पूरे 6 हजार रूपए बर्बाद किए। हाथ में कुछ नहीं आया। थैरेपी में “ओम” बोलना सिखाते थे, धीरे-धीरे बोलना, सांस लेने का अभ्यास आदि। कुछ फायदा नहीं मिला।
इसके बाद एक स्पीच थैरेपी सेन्टर पर जाने की सोचने लगा। परिवार को किसी प्रकार मना लिया। फिर मेरी मम्मी ने रमेश को बुलाया। उसने बताया कि वह भी एक स्पीच थैरेपी सेन्टर पर गया था, लेकिन कोई खास फायदा नहीं मिला। सारे सेन्टर एक जैसे ही होते हैं, कहीं भी जाने का कोई मतलब नहीं है।
रमेश ने मुझे तीसा के बारे में बताया। उसके बाद मेरी जिन्दगी में छोटे-छोटे बादलाव आने लगे। आज मुझे ऐसा महसूस होता है कि हकलाहट कुछ भी नहीं है मेरे लिए।
मैंने हकलाहट के कारण कई मित्रों को खोया है। जिन्दगी में कभी अच्छी चीज देखी ही नहीं। जब भी दुःखी होता, अकेला रहना पसंद करता। सपने देखता था कि हकलाहट ठीक होने के बाद मैं कई दोस्त बनाउंगा, अभिनेता बनूंगा, बड़ी कार लूंगा आदि। पर ये सपने बकवास थे। आज मुझे महसूस होता कि मैं क्या हूं और मैं अपने के लिए क्या मायने रखता हूं। मेरी काॅलेज में एक महिला शिक्षक हैं, जो मुझे हमेशा प्रोत्साहित करती हैं।
1 thought on “अब हकलाहट कोई समस्या नहीं है मेरे लिए…”
Raman Maan
(March 15, 2017 - 8:17 pm)Great….keep chasing little wins….