Goa NC 2016 : आत्मविश्वास के समुन्दर का जादू…

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गो-गो-गोवा… कहने को तो यह एक जगह का नाम है, लेकिन उन लोगों के लिए आत्मविश्वास के समुन्दर में गोता लगाने का सुखद अहसास कराता है, जिन्होंने 16-18 सितम्बर, 2016 तक टीसा द्वारा आयोजित नेशनल कान्फ्रेन्स में भागीदारी की। 3 दिवसीय हकलाने वाले व्यक्तियों के महाकुंभ से लौटने के बाद मैंने अपने अन्दर एक आनन्दमय बदलाव को महसूस किया है। पहला परिवर्तन तो यह है कि अब मैं खुद को आत्मविश्वास से लबरेज पा रहा हूं। किसी से बातचीत करते समय पूर्ण आत्मविश्वास के साथ बड़े ही आराम से बोलता हूं। कभी कोई फोन आता है, तो हर शब्द को बड़े आराम से और सोच-विचार कर बोलता हूं, कठिन शब्दों से भागने की बजाए थोड़ा रूककर बोलना अब अधिक सहज लगता है। जब मैं गोवा से वापस लौट रहा था, तो ट्रेन में सफर के दौरान मुझे बहुत तेज भूख लगी। दूसरे लोगों की तरह मैंने भी अपने मन में धारणा बना रखी थी- रेल्वे की पैंट्री का खाना हमेशा खराब रहता है। फिर भी मैंने एक वेज थाली आर्डर किया। भोजन ग्रहण करते समय बहुत स्वादिष्ट और ताजा लगा। आखिर में जब भोपाल स्टेशन आने ही वाला था, तब उस वेन्डर से भोजन की तारीफ करते हुए बोला- खाना बहुत अच्छा था। वेन्डर ने खुशी और मुस्कुराहट के साथ कहा- 3 साल में पहली बार किसी ने हमारे खाने की तारीफ किया है। आप यकीन नहीं कर सकते उस वेन्डर के चेहरे की मुस्कुराहट को देखकर मुझे अन्दर से इतना अधिक संतोष मिला, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं किया था। अब मैं अपने आफिस में, अपने दोस्तों से अधिक हंसी-माजक एवं विनोदपूर्ण वार्तालाप कर पा रहा हूं, अब मेरी झिझक खत्म हो गई है कि पता नहीं लोगों को मेरी बात पर मजा आएगा या नहीं। इस तरह इस महाकुंभ ने मुझे यादगार अनुभव देते हुए, जीवन में नए संकल्प और नई शुरूआत की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

(अमितसिंह कुशवाह, सतना 09300939758)

Post Author: Amitsingh Kushwaha

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