मशहूर टीवी रियालिटी शो “कौन बनेगा करोड़पति” में जाना मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा लक्ष्य था। इस शो में जाने के लिए मैं 2011 से कोशिश कर रहा था, जब बिहार के सुशील कुमार ने इस शो में आकर 5 करोड़ रूपए जीते थे। उस समय मेरी हकलाने की समस्या अपनी चरम सीमा पर थी। मन में यह बात हमेशा आती थी कि जब केबीसी में मौका मिलेगा तो अपनी बात लोगों के सामने रख पाऊंगा या नहीं? दिन महीनों में और महीने सालों में गुजरते गए, लेकिन मेरे चहेते मंच से कभी कॉल नहीं आया। इस बीच मैंने यह सोचकर पढ़ाई जारी रखी कि जब भी बच्चन साहब का बुलावा आएगा तो कहीं खाली हाथ वापस न आना पड़े।
हर साल की तरह इस बार भी मैंने रजिस्ट्रेशन के दौरान पूछे गए सवाल का जबाव दिया। इस बार फोन आ गया। इसके बाद फोन पर ऑडिशन , ग्राउंट ऑडिशन और जनरल नॉलेज टेस्ट के ऑडिशन का सिलसिला शुरू हुआ। ऑडिशन राउंड खत्म होने के 2 महीने बाद टीवी पर शो शुरू हुआ। मुझे लगा कि शायद इस साल भी चयन नहीं हुआ, अब अगले साल की तैयारी फिर से तैयारी शुरू करनी पड़ेगी। लेकिन 31 अगस्त 2019 को आए एक फोन कॉल ने मेरी जिन्दगी ही बदल दी। वह फोन मुम्बई से आया था और “कौन बनेगा करोड़पति” शो में आकर फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट खेलने का औपचारिक निमंत्रण था। मैं अपने पूरे परिवार के साथ मुम्बई जाने की तैयारी में जुट गया। पहली बार ब्रान्डेड कपड़े खरीदने से लेकर हवाई जहाज में बैठने का एक अलग ही रोमांच था। 15 सितम्बर 2019 को हम दिल्ली से उड़ान लेकर मुम्बई में उतरे। एक ऐसा शहर जहां सितारे आसमान पर नहीं, जमीन में रहते हैं। अगली सुबह हम सब तैयार हुए और केबीसी के सेट पर पहुंचे। वह सेट जिसे हम पिछले 19 साल से टीवी पर देख रहे थे। जब सभी प्रतियोगी फास्टेस फिंगर फर्स्ट की तैयारी कर रहे थे, तब तेजी से चलते हुए सदी के महानायक अमिताभ बच्चन सेट पर पहुंचे और शो शुरू हुआ। हर बार मैं उत्तर तो सही दे रहा था, लेकिन समय रहते नहीं। हर बार दूसरे प्रतियोगी ज्यादा तेजी से खेल रहे थे। आखिर में फास्टेस फिंगर फर्स्ट का जबाव देने के बाद जब बच्चन जी ने मेरा नाम पुकारा तो सबसे पहले मेरी नजर अपने परिवार की तरफ गई।
अब मेरा समय आ चुका था। मैं बिग बी के सामने बैठा था। शो के दौरान मैंने अपने जीवन में हकलाहट के साथ तमाम चुनौतियों का सामना करने, द इण्डियन स्टैमरिंग एसोसिएशन के साथ स्वयं सहायता के प्रयासों, हंसी मजाक और तमाम बातों के बीच खेल में आगे बढ़ रहा था। 50 लाख के सवाल और 25 लाख की जीती हुई इनाम राशि के साथ खेल अंतिम पड़ाव पर आ गया। 50 लाख के सवाल का सही जबाव न मालुम होने पर मैंने खेल से छोड़ना ही बेहतर समझा। शो में उपस्थित सभी दर्शक मेरा उत्साहवर्धन कर रहे थे और बधाई दे रहे थे।
सालों का संजोया हुआ सपना पूरा हो चुका था। बच्चन जी और केबीसी की टीम से विदा होकर हम अपने होटल पहुंचे और अगली सुबह हवाई जहाज से अपने शहर चण्डीगढ़ वापस आए। हकलाना जिसे कभी कभार लोग विकलांगता या कमजोरी समझते है, वह मुझे सदी के महानायक के सामने ले गई।
केबीसी के मंच पर मेरा साथ देने के लिए टीसा मुम्बई स्वयं सहायता समूह के सदस्य भी उपस्थित थे, जिनका मैं अभारी हूं। आखिर में इस लेख को टीसा के शब्दों में ही समाप्त करना चाहूंगा- हकलाओ मगर प्यार से …
~अभिषेक झा, (चंडीगढ़)
अभिषेक झा ने 1 अक्टूबर को लोकप्रिय टेलीविज़न शो केबीसी में भाग लिया। उन्होंने न केवल सफलता के साथ खेल समाप्त किया, अपने हकलाने और टीसा के साथ अपनी भागीदारी के बारे में गर्व से बात की। टीसा इस स्वीकार्यता की सच्ची भावना को सलाम करता है, और उसे बहुत बहुत शुभकामनाएं देता है!
1 thought on “केबीसी : सपनों के हकीकत में बदलने की कहानी …”
Dr Satyendra Srivastava
(October 23, 2019 - 6:48 am)Wah wah…
Haklao magar pyar se,
Jujho mat apne aap se,
Safalta milegi jarur,
Magar apne prayas se…