कई बार जीवन की गहराईयो में हम ये पता नहीं लगा पाते की कौन कहता है की ये सच है या वो सच है – आशा करता हु इस लाइन से आप बहुत भ्रमित हो गए होंगे तो बात को थोड़ा और अचे से समझाता हु !
हम अपने जीवन में जो करना चाहते है वो कोई रोक नहीं सकता है और अपनी काबिलियत का भी विश्वास हमे खुद ही होता है और खुद ही होना भी चाहिए रास्ते में कितने भी अड़चने हो लेकिन हम अपने काबिलियत से वो हर चीज कर सकते है जो हम करना चाहते है !
अब मै अपने असली बात पर आता हु हाल ही में , मैंने सुना कुछ लोगो ने ऐसा लिखा की TISA सिर्फ उन्ही लोगो को एंकर या होस्ट बनाता है जो थोड़ा ठीक ठाक बोल लेते है और उन लोगो को नहीं जिन्हे बहुत दिक्कत है बोलने में, इस अभिप्राय में, मुझे लगता है मेरे दोस्त TISA में कोई किसी को चांस नहीं देता है जिसे विश्वास होता है वो खुद उठकर कहता है मुझे होस्ट बनना है मुझे इस बार वर्कशॉप लगनी है या मुझे कांफ्रेंस करना है और इस चीज में कोई किसी को नहीं रोकता है और रोकेगा भी क्यों ? कभी कभी माइक पर बोलने वाले लोग आपको धाराप्रवाह दिखेंगे बहुत लेकिन उनको और गौर से जानेंगे तो आपको समझ में आएगा की वो मेरे से भी बड़ा हकला है और ये विश्वास है जो उसे मीटिंग होस्ट करने या वर्कशॉप होस्ट करने में कोई दिक्कत नहीं है बल्कि वो जैसा भी बोले उसे कोई असर नहीं पड़ता तो TISA उन हर लोगो को मौका देता है जो वास्तव में खुद पर भरोसा रखते है और कुछ करना चाहते है !
धन्यवाद !!
1 thought on “कौन कहता है – एक सच”
Sachin
(July 11, 2017 - 12:32 pm)बहुत सच विशाल ! बात फ्लूएंसी की नहीं – बात है आत्म विशवास और पहल करने की | तीसा में बहुत से साथी बहुत अच्छा बोलते हैं मगर ना तो वे कोई स्वयं सहायता समूह चला रहे हैं और ना ही उन्होंने अन्य कार्यक्रमों में कोई बड़ी जिम्मेदारी निभाई – वज़ह जो भी हो, शायद वे जिंदगी की अन्य महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियो में मशगुल थे – या जो भी हो; सच तो ये है – तीसा में कम ही लोग इस जन आन्दोलन की आत्मा को समझते हैं – और उन चंद लोगो में ऐसे व्यक्ति जो वालंटियर कर सकें, और भी कम हैं.. इस लिए जो भी सामने आता है, पहल करता है, मुद्दों को समझता है, और अहम् को एक तरफ रख कर, सेवा की भावना से समय देने को तैयार है – उसे तीसा जरुर मौका देती है..
आखरी बात: तीसा या कोई भी किसी को समूह शुरू करने, ब्लॉग शुरू करने, लोगो को कुछ अर्थपूर्ण सिखाने से कैसे रोक सकता है? क्या हम एक प्रजातान्त्रिक और खुले समाज में नहीं जी रहे?
जिन खोजा तीन पाइयां – गहरे पानी पैठ …
है ना? शिकायत क्यों करें ? आगे बढिए और पहल करिए, छोटी ही सही ..