द इण्डियन स्टैमरिंग एसोसिएशन (तीसा) के मंच पर कुछ नए सवाल उभरकर सामने आएं हैं। लोगों को कुछ गलफहमियां हैं। यहां हम ऐसी ही 2 गलतफहमियों के बारे में अपनी राय स्पष्ट कर रहे हैं।
गलतफहमी 1 : क्या तीसा स्पीच थैरेपिस्ट को नापसंद करता है?
तीसा की नीति: तीसा का किसी भी स्पीच थैरेपिस्ट से कोई विरोध नहीं है। स्पीच थैरेपी के विषय में हमारी विस्तृत राय here: http://t-tisa.blogspot.in/2012/08/which-therapist.html पर दी गई है। तीसा की नीतियों के अनुसार, तीसा के मंच पर किसी भी स्पीच थैरेपी का समर्थन नहीं किया जाता। हम हकलाहट की स्वीकार्यता के साथ स्वयं सहायता को अपनाने पर जोर देते हैं। तीसा किसी भी हकलाने वाले व्यक्ति को स्पीच थैरेपिस्ट के पास जाने से नहीं रोकता। लोग अपनी इच्छानुसार स्पीच थैरेपी का अनुभव लेने के लिए स्वतंत्र हैं। लोग अपनी स्पीच थैरेपी की समीक्षा और परिणाम पर हमारे साथ चर्चा कर सकते हैं। लेकिन तीसा के मंच पर किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी स्पीच थैरेपिस्ट का समर्थन करने की अनुशंसा हम नहीं करते।
तीसा स्पीच थैरेपिस्ट के विषय में जागरूकता लाने का प्रयास करता है। इससे हकलाने वाला व्यक्ति हकलाहट के इलाज या क्योर के नाम पर अपने धन को बर्बाद करने से बच सकता है। हमने देखा है कि स्पीच थैरेपी के बाद भी लोगों का हकलाना कुछ समय बाद बढ़ गया। यह हकलाहट की प्रकृति है। इसमें कोई गलत नहीं। यदि किसी के द्वारा क्योर का दावा किया जाता है, तो हकलाहट वापस नहीं आनी चाहिए। स्पीच थैरेपी के बाद भी हकलाहट वापस आना नीतियों से जुड़ा हुआ एक ऐसा सवाल है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए।
भारत में कुछ लोग अपने स्पीच थैरेपी सेन्टर को तीसा से जोड़कर प्रचारित कर रहे है। यहां हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि तीसा का किसी भी स्पीच थैरेपिस्ट या स्पीच थैरेपी सेन्टर से कोई सम्बंध नहीं है। तीसा भारत में स्पीच थैरेपी सेन्टर संचालित नहीं करता।
गलतफहमी 2 : स्वीकार्यता का मतलब है हकलाहट का कोई इलाज नहीं और हम अपनी हकलाहट को ठीक करने के लिए कुछ नहीं कर सकते?
तीसा की नीति : स्वीकार्यता की यदि हम इस रूप में व्याख्या करते हैं कि अब हकलाहट के लिए कुछ नहीं किया जा सकता, तो यहां हम एक महत्वपूर्ण बात भूल रहे हैं। तीसा हकलाने वाले लोगों को धाराप्रवाहिता के पीछे भागने की बजाय अपने संचार कौशल पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमें कुछ भी रोकने या छोड़ने की जरूरत नहीं, लगातार संचार कौशल को बेहतर बनाने के लिए कार्य करना है। यह धाराप्रवाहिता से आगे बढ़कर है। जैसे- शारीरिक हावभाव, भाषा, शब्द एवं वाक्य का उच्चारण एवं ध्वनि के उतार-चढ़ाव पर कार्य करना शामिल है।
जब हम हकलाहट पर काम करते हैं तो कई अनछुए पहलुओं का अहसास होता है। हम जान पाते हैं कि यदि एक बार मन से हकलाहट का बोझ उतर जाए तो हर कार्य बेहतर तरीके से कर पाते हैं। हम हकलाहट के लिए नहीं हैं और हकलाहट हमारे लिए नहीं है। जीवन में और भी बहुत कुछ है।
2 thoughts on “2 गलतफहियां और तीसा की नीति”
Sachin
(April 12, 2017 - 7:16 pm)अमित जी, आपका अनुवाद बहुत सटीक और सुन्दर है.. कोटि कोटि धन्यवाद्..
vishal
(April 13, 2017 - 2:32 pm)wah maja a gaya, ye bahut hi duvidha waala tathya hai jise bahut saare galatfehmi me the, ab ye post padne ke baad unko sach ka gyan hoga. bahut acha post amit ji 🙂 ek baar fir bahut bahut dhanyawaad is post ke liye