हेलो दोस्तों , आज मैं आपको अपनी पहली मीटिंग का अनुभव शेयर करने जा रहा हु………
मुझे तीसा के बारे में इंटरनेट से पता लगा (2016 ) और मैंने एक वालंटियर को कॉल किया और जानने के लिए | उन्होंने मेरा पता पूछा और मैंने गलत पता बता दिया जो अक्सर हम हकलाने वाले लोग करते है – शार्ट टर्म की सहूलियत के लिए | सबसे मज़ेदार बात तो ये है की हम अपना नाम ही बदल देते है , हम अपने शहर का नाम ही बदल देते है | अब जब पीछे मुड़कर इन बातों को याद करते है तो हंसी भी आती है और अपनी मूर्खता पर गुस्सा भी | खैर ये सब तो एक हकलाने वाले की ज़िंदगी का खास हिस्सा है – एक पहचान है |
तो दिल्ली मीटिंग का पता पूछ कर मैं कुछ दिन तक सोचता रहा – जाने या न जाने के बारे में …. कुछ दिनों के बाद मैं पहुंच ही गया मीटिंग में |
सबसे पहले इंट्रो राउंड में सब अपना नाम बता रहे थे और मेरा दिल बहुत जोर से धड़क रहा था की अब तेरा क्या होगा रे कालिया ….. हाहा ….. मेरी बारी भी तो आनी थी , मन में ये लग रहा था की बोल दूंगा आसानी से |
हम सभी को बोलने से पहले यही लगता है की मैं बोल लूंगा पर जब बोलने की बारी आती है तो हमारा मुँह खुलता ही नहीं है या खुले का खुला रह जाता है – ये है बोलने से पहले आने वाला परफॉरमेंस ब्लॉक – की मुझे सही बोलना है – इस चक्कर में हम कुछ भी नहीं बोल पाते – मेरे साथ भी यही हुआ और मैं चाहकर भी अपना नाम नहीं बोल पाया – अटकना तो दूर की बात थी –
तभी सब मुझे प्रोत्साहित करने लगे कि तुम बोल सकते हो – फिर सबने साथ में मिलकर मेरा नाम बुलवाया –
दोस्तों अगर मैं आज 3 साल बाद उस घटना को देखता हु तो वो मेरा परफॉर्म करने का डर ही था जो मुझे खुल कर हकलाने से रोक रहा था | मैं आज 3 साल बाद जब भी बोलता हु तो हकलाता जरूर हु पर मेरा दिल अब उतने ज़ोर से नहीं धड़कता जितना कुछ साल पहले होता था – ये अपने कम्फर्ट जोन से बहार निकलने से हुआ – मैं अब फ़ोन कॉल्स से भी नहीं डरता हु – हाँ हकलाता जरूर हु – कभी कम् तो कभी अधिक |
तो दोस्तों अपने आप को व्यक्त करे – चाहे आप कम् हकलाते है या ज्यादा – कभी भी अपने आप को ये मत बोले कि मैं ये काम ठीक होने के बाद ही करूंगा – क्यूंकि आप काम करने से ही ठीक होंगे न कि ठीक होने के बाद काम करेंगे –
सफर यूं ही चलता रहे ,
रमन मान 8285115785
3 thoughts on “My Experience #13 First SHG TISA in 2016”
Bhupendra Singh Rathore
(October 5, 2018 - 12:37 pm)इस अनुभव को साझा करने के लिए श्रीमान रमन मान धन्यवाद।
मैं भी आपसे सहमत हूं चाहे आप कम् हकलाते है या ज्यादा – कभी भी अपने आप को ये मत बोले कि मैं ये काम ठीक होने के बाद ही करूंगा – क्यूंकि आप काम करने से ही ठीक होंगे न कि ठीक होने के बाद काम करेंगे |
Amitsingh Kushwaha
(October 6, 2018 - 11:55 am)बहुत ही प्रेरणादायी अनुभव है रमण जी आपका. स्वयं सहायता की तरफ आगे बढ़ने के लिए सभी को ऐसा साहस दिखाने की जरुरत होती है. आगे भी हिंदी में अपने अनुभव साझा करते रहें. धन्यवाद.
Bibhesh Kumar Yadav
(September 13, 2019 - 4:01 pm)Bibhesh Kumar Yadav Mai Bachpan Se Hi Haklata Hu Mujhe thik Karna Hai Please Mujhe Madad Kijiye