सिलिगुड़ी वर्कशाप के अनुभव

मेरा नाम रघुवीर सिंह ठाकुर है। मैं मध्यप्रदेश का रहने वाला हूं। 14 से 16 फरवरी तक सिलिगुड़ी में आयोजित यह मेरी पहली वर्कशाप थी। मैं भोपाल से सिलिगुड़ी 36 घण्टे का सफर करने के बाद पंहुचा। पहले दिन हमें बाउंसिंग, प्रोगांलसिएशन, पाजिंग, वालेन्टरी स्टैमरिंग, ब्लाक करेक्शन के बारे में बताया गया। सभी लोगों ने इन तकनीकों का प्रयोग करते हुए अपना परिचय दिया। हकलाहट के साथ होने वाले सेकेण्डरी बिहेबियर के बारे में और उन्हें कैसे नियंत्रित करना है, इस पर चर्चा की गई। हमने अस्पताल के कर्मचारियों से हकलाहट से सम्बंधित सवाल पूछे और उनके विचार जाने।

दूसरे दिन हमने बैली ब्रीदिंग और चेस्ट ब्रीदिंग का अभ्यास किया। हम लोगों ने 5 कठिन शब्दों को स्पीच तकनीक के साथ बोलने का अभ्यास किया। इसके बाद पहले सामान्य स्थितियों में और बाद में अधिक ध्यान देने योग्य स्थितियों में बोलने को कहा गया और उसके बाद हमने सिलिगुड़ी के बाजार में जाकर अनजान लोगों से बातचीत की। इस दिन हकलाहट के बारे में पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से कई रोचक जानकारियां प्रदान की गईं।

तीसरे दिन हम सबको 3 समूहों में अपनी प्रस्तुति देना था। मेरे ग्रुप का विषय बाउंसिंग और प्रोगांसिएशन तकनीक था। इसके बाद अस्पताल के सामने खड़े होकर सभी अपने अपने चुने गए विषय पर बोलना था। मैंने मध्यप्रदेश के बारे में बोला। लंच के दौरान हमने वर्कशाप का फीडबैक दिया। इसके बाद सभी 3 समूहों ने एक लघु नाटिका प्रस्तुत की। सभी ने अपने विषय के अनुसार काफी रोचक तरीके से अपनी प्रस्तुति दी। शाम को मेरी Train होने के कारण मुझे वर्कशाप से थोड़ा जल्दी निकलना पड़ा।

इस वर्कशाप में जाकर मैंने अपने हकलाने के बारे में और सही संचार के तरीके के बारे में बहुत सारी नई बातें सीखी हैं।

~ रघुवीर सिंह ठाकुर, भोपाल।

Post Author: Amitsingh Kushwaha

1 thought on “सिलिगुड़ी वर्कशाप के अनुभव

    Satyendra Srivastava

    (March 2, 2020 - 1:26 pm)

    Very good.. Keep challenging yourself. And keep visiting new places with tisa. Travelling is education in action. It is therapy also, with lot of fun.

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