यह हम सबके लिए गौरव की बात है कि तीसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ सदस्य जयप्रकाश सुंडा देश के बाहर कनाडा सर्विस के लिए प्रस्थान कर रहे हैं। श्री सुंडा के सम्मान और स्वागत के लिए गूगल मीट पर एक आनलाॅइन बैठक का आयोजन 22 जून (रविवार) को किया गया। इस बैठक में देशभर के तीसा से जुड़े हुए साथियों ने भाग लिया।
आनलाॅइन बैठक की शुरूआत करते हुए तीसा के एक वरिष्ठ सदस्य ने जयप्रकाश सुंडा के योगदान पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि श्री सुंडा तीसा से 2010 से जुड़े हुए हैं। उन्होंने देहरादून में 6 महीने तक रहकर हकलाहट से जुड़ी तमाम बारिकियों को सीखा और सफल संचारकर्ता बनने की ओर आगे बढ़े। जयप्रकाश ने तीसा की कई संचार कार्यशालाएं विभिन्न स्थानों पर आयोजित कीं और पहली नेशनल कान्फ्रेन्स जो कि 2011 में भुवनेश्वर में हुई थी वह इनके ही प्रयास से संभव हुई। श्री सुंडा देश की नामी आईटी कम्पनी और बैंक में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
तीसा के नेशनल कोआर्डिनेटर हरीश उसगांवकर ने कहा कि श्री सुंडा एक साहसी व्यक्ति हैं और जीवन में आने वाले परिवर्तनों को सहज रूप में स्वीकार करते हैं। एक घटना का जिक्र करते हरीश ने बताया कि पहली पर जयप्रकाश से मिलने पर उन्होंने मुझसे पूछा – हकलाने के कारण आपको कभी कोई फायदा हुआ क्या? यह एक बहुत ही अजीब सवाल था उस समय मेरे लिए। बाद में तीसा से लागातार जुड़े रहने पर हकलाहट को एक विविधता के रूप स्वीकार करने की सीख मिली। जयप्रकश जीवटता, संघर्ष और सफलता की एक मिसाल हैं।
चण्डीगढ़ सेे केबीसी विजेता अभिषेक झा ने कहा कि 2017 में चण्डीगढ़ में तीसा की नेशनल कान्फ्रेन्स में पहली बार जयप्रकाश जी से मिला। उन्होंने कान्फ्रेन्स में मुझसे एक गतिविधि करवाई। इससे मुझे यह सीख मिली की हकलाहट को लेकर असली बाधा हमारे मन में है और वास्तव में हम उसे आसानी से पार कर सकते हैं।
गुजरात से विपुल उभाड़िया ने कहा कि हम हकलाने वाले साथी अपनी नेतृत्व क्षमता कैसे विकसित कर सकते हैं जयप्रकाश जी इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कभी आशा नहीं छोड़ी और अपने संघर्ष को जारी रखा। वे हम सबके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
तीसा के वरिष्ठ सदस्य जसवीर सिंह ने कहा कि सच्ची स्वीकार्यता क्या है, यह सीख जयप्रकाश जी से ही मिली। इनकी प्रेरणा से ही हकलाहट की स्वीकार्यता पर गहराई से कार्य करना सीखा।
दीक्षित अरोड़ा ने कहा कि जयप्रकाश जी एक दोस्त एवं एक भाई की तरह सभी हकलाने वाले साथियों का ख्याल रखते हैं, उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनते हैं और उनके पास हर बात का एक अलग तरह का सकारात्मक जबाव होता है।
जयप्रकाश सुंडा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें जीवन के प्रवाह में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। मुझे लगता था कि हकलाने वाला व्यक्ति एयरफोर्स ज्वाइन नहीं कर सकता, टीचर नहीं बन सकता, हवाई जहाज नहीं उड़ा सकता, लेकिन मुझे पता चला कि हकलाने वाले व्यक्ति हर क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। हकलाहट हमारे जीवन में कभी भी बाधा नहीं हो सकती। हम अपनी सकारात्मक सोच और लागातार सही दिशा में आगे बढ़कर सफलता अर्जित कर सकते हैं। तीसा में ऐसे ढेरों सफल व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने सपनों को पूरा किया है।
अंत में आभार व्यक्त करते हुए तीसा के असिस्टेन्ट नेशनल कोआर्डिनेटर अमित सिंह कुशवाहा ने बताया कि श्री सुंडा एक मिलनसार और हमेशा सकारात्मक उर्जा से भरे रहते हैं। सभी हकलाने वाले साथियों को प्रोत्साहित करते हैं और हर संभव उनकी मदद भी करते हैं।
इसमें प्रमुख रूप से हरीश उसगांवकर, जसवीर सिंह, अनुज कुमार गुप्ता, अभिनव सिंह, संदीप कुशवाहा, शोभन सिंह, अभिषेक झा, अंकिता मीना, रोहित गौर, विवेक, विपुल उघाड़िया, क्रिशनेन्दु गोराय, विशाल गुप्ता, नितिन गौतम, दीक्षित अरोरा, वरूण यादव, जसमीत सिंह, मंगेश, तुषार देव, अर्पित राजौरिया, पवन बैरवा, नरेश परिहार, असमीत सिंह, रोहितेन्दु मिश्रा, दीपक पण्डा, जसमीत सिंह आदि उपस्थित रहे।
सभी साथियों ने जयप्रकाश सुंडा को उज्जवल भविष्य की शुभकानाएं दी और तीसा में उनके सराहनीय योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
2 thoughts on “जीवटता, संघर्ष और सफलता की मिसाल हैं जयप्रकाश सुंडा”
Satyendra Srivastava
(June 22, 2020 - 1:11 pm)One of the biggest skills, jp has, is, his deep sense of humor. He can see the funny side even in painful experiences and this is how he has been marching on in life.. i hope to have him as a friend all my life!
Nitin Gautam
(June 22, 2020 - 1:54 pm)The man who taught me , you can do anything in life , always available when needed , I pray for his success in future and wish I will meet him again .