2 जून 2013 को डिस्कवरी चैनल पर “द किंग्स स्पीच” फिल्म पर आधारित एक विशेष कार्यक्रम ‘‘द रियल किंग्स स्पीच’’ का प्रसारण किया गया।
‘‘एक बार फिर, क्रिसमस के दिन मैं उन करोड़ों लोगों से बात कर रहा हूं, जो सारी दुनिया में फैले हुए हैं।’’
इस तरह के भाषण स्टारिंग कोलिन फर्थ जो किंग जार्ज 6 के रूप में मशहूर हुए, दिया करते थे। स्टारिंग का बचपन काफी चुनौतीपूर्ण बीता था। उस दौरान किसी ने नहीं सोचा था कि हकलाने वाला राजकुमार, एक दिन ग्रेट ब्रिटेन के राजा के रूप में करोड़ों लोगों को संबोधित कर उन्हें अपना दीवाना बना देगा।
किंग जार्ज 6 को सत्ता मिलने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी देश की जनता को सम्बोधित करना। ऐसे मुश्किल समय में स्पीच थैरेपिस्ट के रूप में लायलोनल लाग ने उनकी मदद की।
किंग को धीरे-धीरे बोलना, बोलते समय बीच में रूकना सिखाया गया। उनके भाषण से कठिन शब्द और वाक्य छांटकर भाषण को आसान बनाया जाता। किंग जार्ज का ठहराव से बोलने का तरीका लोगों को पसंद आया और उनके भाषण की तरीफ होने लगी।
लेकिन, स्पीच थैरेपिस्ट के साथ कई साल कार्य करने के बाद भी कभी-कभी किंग जार्ज के लिए के लिए भाषण देना संघर्ष का कार्य हो जाता था। अपनी ताजपोशी के पहले साल ही उन्हें ढेरों भाषण देने पड़े, इससे जार्ज थकान महसूस करते थे।
3 सितम्बर, 1939 को यु़द्ध के समय दिया गया भाषण सैनिकों में जोश भरने वाला था। युद्ध के दौरान उन्होंने 12 से अधिक भाषण दिए।
डिस्कवरी चैनल पर प्रसारित इस कार्यक्रम में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि किंग जार्ज ने अपनी हकलाहट को “क्योर” कर लिया, बल्कि आखिरी तक यही बताया गया कि उन्होंने कैसे स्टैमरिंग को काबू में कर अच्छे भाषण दिए।
किंग जार्ज का व्यक्तित्व सीख देता है कि हम चाहे कितनी भी चुनौतियों का सामना कर रहे हों हकलाहट को काबू में करके सार्थक और प्रभावशाली संचार और संवाद कर सकते हैं।
– अमितसिंह कुशवाह
सतना, मध्यप्रदेश।
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