वल्र्ड स्टटरिंग नेटवर्क द्वारा 8 मई 2021 को “स्टटर फेस्ट 2021” नामक वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जूम ऐप पर आयोजित यह कार्यक्रम 20 घण्टे तक लगातार चलता रहा। इस दौरान विभिन्न देशों के संगठनों और व्यक्तियों ने हकलाहट के विषय में अपने विचार, अनुभव और किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की।
कार्यक्रम के मुख्य सत्र में द इण्डियन स्टेमरिंग एसोसिएशन (तीसा ) के वरिष्ठ सदस्यों ने भारत में किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। रात 08.30 से 09.30 बजे के सेशन में तीसा के वरिष्ठ सदस्य जयप्रकाश सुंडा ने तीसा की स्थापना के उद्देश्य और मूलभत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। श्री सुंडा ने बताया कि तीसा भारत में हकलाने वाले लोगों द्वारा और हकलाने वाले लोगों के लिए शुरू गया एक स्वैच्छिक संगठन है। तीसा में हकलाहट का क्योर करने का दावा नहीं किया जाता बल्कि हकलाहट के व्यक्तिगत, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर कार्य करते हुए हकलाने वाले व्यक्ति को कुशल संचारकर्ता बनने के लिए प्रेरित किया जाता है। हकलाने वाले व्यक्ति को समाज के बीच जाकर अपने डर, शर्म और झिझक को दूर कर समाज और परिवार में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। भारत में आज हजारों युवा तीसा से जुड़कर अपनी हकलाहट को एक सकारात्मक सोच के साथ स्वीकार कर हर क्षेत्र में सफल हो रहे हैं।
मुम्बई से तीसा कोर ग्रुप के सदस्य ध्रुव गुप्ता ने भारत में तीसा द्वारा की जा रही गतिविधियों की जानकारी की। उन्होंने बताया कि तीसा द्वारा संचार कार्यशालाएं और नेशनल कांफ्रेन्स आयोजित करने के साथ ही कई आनलाइन कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। ये सभी कोर्स एकदम मुफ्त होने के साथ ही आसान भी हैं। श्री गुप्ता ने बताया कि तीसा द्वारा भारत के विभिन्न शहरों में स्वयं सहायता समूह पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार काम कर रहे हैं। इन स्वयं सहायता समूहों के हकलाने वाले साथी अपने अनुभव साझा करते हैं और बेहतर संचार करने की तकनीकों को गहराई से समझते हुए अभ्यास करते हैं। तीसा का मानना है कि हकलाना व्यक्तिगत कम, एक सामाजिक समस्या ज्यादा है। इसलिए इसका समाधान भी लोगों के बीच जाकर ही किया जा सकता है।
कार्यक्रम में तीसा के संस्थापक ने अमेरिकी हकलाने वाले साथियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए बताया कि तीसा द्वारा चार मुख्य तकनीकों को स्वीकार किया गया है। ये हैं – पाजिंग, बाउंसिंग, प्रोलान्गेशन और वालेन्टरी स्टेमरिंग। इन्हीं चार तकनीकों को ध्यान में रखते हुए सभी कोर्स तैयार किए जाते हैं। हकलाने वाले साथियों को हकलाहट से जुड़ी हुई व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करने के योग्य बनाने के साथ ही खुद की मदद करना सिखाया जाता है। इस प्रकार हकलाने वाला व्यक्ति अपनी हकलाहट को स्वीकार करते हुए बेझिझक बातचीत कर पाने में समक्ष हो पाता है।
इस वर्जुअल कार्यक्रम में विभिन्न देशों के साथियों ने सहभागिता की।
3 thoughts on “StutterFest! – हकलाहट के बंधन से मुक्त करता है तीसा”
JAGDISH MEWADA
(May 9, 2021 - 6:03 am)Great sir
Satyendra Srivastava
(May 9, 2021 - 11:23 am)Well done Amit! Much appreciated…
Sumanta khamari
(September 8, 2021 - 10:55 am)I’m a stammerrer