“एक दार्शनिक हमेशा पढ़ने में लगे रहते थे। वह लोगों को तात्विक ज्ञान देने का प्रयास भी करते थे। उनके घर के नजदीक ही एक नदी बहती थी। उस नदी में बांध बनाकर एक तालाब बनाया गया था। उसका पानी बहुत साफ था। वह लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया था। लोग उसके किनारे आकर बैठते , उसमें तैरते। लोगों को उसमें तैरते देखकर दार्शनिक का मन भी उसमें तैरने को करता था लेकिन उन्हें तैरना नहीं आता था। जब तालाब में लहरें उठतीं तो उनका मन थिरक उठता।वह सोचते काश इन लहरों में मैं प्रवेश करता और उनकी शीतलता का आनंद लेता। एक दिन उनके एक शिष्य ने उन्हें एक पेटी लाकर दी और बोला , ‘ आपका तैरने का बहुत मन करता है न। आपके लिए मैं एक पेटी लेकर आया हूं।इस पेटी के सहारे आप गहरे पानी में जाकर भी डूबेंगे नहीं , पानी की सतह पर तैरते रहेंगे। ‘
यह देखकर दार्शनिक का मन बल्लियों उछलने लगा। अगले ही दिन वह पेटी लेकर तालाब में कूद गए। ज्यों ही वहकूदे कि अतल गहराई में चले गए। उनके हाथ और पेटी तो पानी की सतह पर आ गए , किंतु वह स्वयं पानी केअंदर ही छ टपटाते रहे। संयोग से एक व्यक्ति उस समय वहां स्नान कर रहा था। दार्शनिक को डूबता देखकर वह तुरंत उनके पास आया और उन्हें किनारे पर ले गया। दार्शनिक घबराए हुए से किनारे पर बैठ गए और बोले , ‘ यह पेटी तो व्यक्ति को पानी में डूबने ही नहीं देती। फिर मैं कैसे डूब गया ?’
इस पर वह व्यक्ति हंसते हुए बोला , ‘ महाराज , जीवन में किताबी ज्ञान के साथ ही व्यवहारिक ज्ञान भी आवश्यकहै। यह पेटी तभी मदद करती है जब इसे पेट पर बांधा जाता है। खाली पेटी हाथ में लेने से ही सुरक्षा नहीं होती। ‘व्यक्ति की बातें सुनकर दार्शनिक को समझ में आ गया कि जीवन में किताबी ज्ञान के साथ – साथ व्यवहारिक ज्ञानभी अनिवार्य है।”
ठीक इसी प्रकार स्टेमरिंग को कंट्रोल करने के लिए केवल टेक्निक्स की जानकारी होना ही काफी नहीं है, बल्कि हमें उन टेक्निक्स का अभ्यास होना चाहिए एवं हमें पता होना चाहिए की हम इन टेक्निक्स का उपयोग व्यावहारिक रूप से कैसे करतें हैं. अन्यथा हमारी स्थिति भी बेचारे दार्शनिक महोदय जैसी ही होगी.
मुझे यह बात समझ आ चुकी है की किताबी ज्ञान के साथ साथ व्याहारिक ज्ञान अनिवार्य है. और हर किताबी ज्ञान, व्यावहारिक ज्ञान के बिना अधूरा होता है.
अपने इस अभ्यास का अनुभव मैं आप सभी से बहुत जल्द अपने अगले पोस्ट में शेयर करूँगा.
धन्यवाद
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Jitender Gupta प्रथम
+91 7503189365
jitenderguptaa at gmail.com
10 thoughts on “दास्तान-ए-व्याहारिक ज्ञान”
Sachin
(July 18, 2012 - 11:17 am)beautiful. Very true..
subodh singh
(July 18, 2012 - 12:07 pm)Really nice inspirational story……Practical knowledge is also necessary with bookish knowledge……!!!!!
admin
(July 18, 2012 - 2:02 pm)Good post.
admin
(July 18, 2012 - 3:27 pm)जितेंदर आप हिंदी में पोस्ट्स लीख कर बहुत ही बढ़िया काम कर रहें हैं | और TISA के काम को और अर्थपूर्ण बना रहे हैं |
संगीता पुरी
(July 18, 2012 - 5:34 pm)बिल्कुल सही है ..
पर आज के विद्यार्थी सिर्फ किताबी ज्ञान पढने को मजबूर है ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
admin
(July 19, 2012 - 6:56 am)very real jitender….amit dixit liked this :-))
admin
(July 19, 2012 - 7:55 am)Wha..kya story likhi hai.Really a big difference about practical and theory..good work, keep it up!!
sikander
(July 19, 2012 - 2:11 pm)Jitendra, Jab se tumse mulakat hu hai, hum sab ki hindi mai kaphi sudhar aa gaya hai. Ye story aur aapkaa message bhi kaphi acchcha hai. Keep writing and motivating us.
Sikander
Ravi....
(July 19, 2012 - 6:57 pm)everyone should have practical knowledge!!!!!brilliant yaar
admin
(July 21, 2012 - 4:25 am)hello jitender!!
very commendable post u wrote.
i think it reminds us that the usefulnes of a techniques is lost without its proper practice
thank u
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