हम सभी जानते हैं की सिक्के के दो पहलू होते हैं. हम जैसा चाहें वैसा सोच सकते हैं.
हकलाने के कारण निश्चित तौर पर हमारी सोच, व्यवहार और सामाजिक जीवन बहुत हद तक प्रभावित होता है. इससे हमारे मन में हताशा, निराशा और नकारात्मक विचारों का प्रभाव पड़ता है. लेकिन इनसे जितना जल्दी हम बाहर निकल आएं, बेहतर है.
अब हकलाहट में कुछ अच्छा देखना चाहें तो कई बातें हैं. हमें बोलने में प्रोब्लम है तो क्या हुआ, मेडिकल साइंस कहता है की हमारे शरीर में हर कार्य के लिए अलग अंग हैं जैसे देखने के लिए आँख, सुनने के लिए कान और खाने के लिए मुंह. लेकिन बोलने के लिए कोई अलग अंग नहीं हैं. हम जिन अंगों को चूसने, चबाने और स्वाद लेने के लिए प्रयोग करते हैं उनका ही इस्तेमाल बोलने में करते हैं. तो इसका मतलब मेडिकल साइंस में यह है की बोलना हमारे शरीर के ऊपर एक थोपा गया कार्य है. यह मै नहीं कह रहा हूँ बल्कि बधिर बच्चों को पढ़ने के लिए बी.एड. कोर्स करते समय मैंने किताबों में यह पढ़ा. तो अब हकलाहट को लेकर हम क्यों इतना परेशान रहें.
दूसरी बात यह है की जब हम हकलाते हैं तो समाज के लोग यह नहीं जानते की हम क्यों हकला रहें हैं, इसलिए उनकी प्रतिक्रिया अगर निगेटिव है तो इसको लेकर टेंशन ना लें… आज किसके पास टाइम है जो हमेशा हमारे बारे में सोचे और हम उसके बारे में… इसलिए भूलते जाइए वे सारी बातें, जो हमें दर्द देती हैं.
कहते हैं एक अंधेरी रात के बाद एक सुनहरी सुबह आती है. जीवन को जीने का सकारात्मक नजरिया अपनाएं. हर समय उदासी, दुःख का मर्सिया ना पढ़ते रहें. हर हाल में जिन्दगी खूब सूरत है एक बार जी कर तो देखें…
– अमित सिंह कुशवाह.
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4 thoughts on “जीवन में सकारात्मकता को खोजें . . . !”
Sachin
(March 15, 2012 - 4:52 am)बहुत खूब! अपने शिमला वाले अनुभव भी कृपया बाटें..हिन्दीभाषियों को अच्छा लगेगा..
admin
(March 15, 2012 - 10:58 am)Wow Amit, you really write wonderful !! I become fan of your posts.
admin
(March 18, 2012 - 1:59 am)great words , keep sharing !
admin
(March 18, 2012 - 1:59 am)great words , keep sharing !
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