प्रसिद्ध दार्शनिक बर्नार्ड
रसेल ने एक खूबसूरत बात कही है – “कई लोग नाकाम होते हैं, क्योंकि वे दूसरों की
नक़ल करते हैं, जबकि जिंदगी की परीक्षा में हर व्यक्ति को अलग प्रश्न पत्र मिलता है.”
रसेल ने एक खूबसूरत बात कही है – “कई लोग नाकाम होते हैं, क्योंकि वे दूसरों की
नक़ल करते हैं, जबकि जिंदगी की परीक्षा में हर व्यक्ति को अलग प्रश्न पत्र मिलता है.”
आज हम लोग दूसरों की नक़ल
करने की दौड़ में काफी आगे निकलते जा रहे हैं, खुद को भुलाकर. जब बात हकलाहट की
करें तो हमारे सामने सिर्फ एक ही ख्वाहिश, एक सपना होता है – दूसरों की तरह धाराप्रवाह
बोलने का कौशल हासिल करना.
करने की दौड़ में काफी आगे निकलते जा रहे हैं, खुद को भुलाकर. जब बात हकलाहट की
करें तो हमारे सामने सिर्फ एक ही ख्वाहिश, एक सपना होता है – दूसरों की तरह धाराप्रवाह
बोलने का कौशल हासिल करना.
हममें से कई लोग जीवन की इस
विविधता को स्वीकार ही नहीं कर पाते की संसार में हर एक व्यक्ति दूसरों से कई
मामलों में एकदम अलग है, कोई भी दो इंसान एक जैसे नहीं हो सकते. यहाँ तक की दो
जुड़वा लोगों में भी ढेरों असमानताएं होती हैं.
विविधता को स्वीकार ही नहीं कर पाते की संसार में हर एक व्यक्ति दूसरों से कई
मामलों में एकदम अलग है, कोई भी दो इंसान एक जैसे नहीं हो सकते. यहाँ तक की दो
जुड़वा लोगों में भी ढेरों असमानताएं होती हैं.
हम जीवन में अपनी भूमिका
निभाने की बजाए दूसरों से अधिक प्रभावित दिखाई देते हैं. हम इस बात से दु:खी रहते
हैं की दूसरे लोगों की तरह धाराप्रवाह नहीं बोल पा रहे हैं. इस फेर में स्वयं की
योग्यताओं को, आशाओं को – एकदम भूल जाते हैं. जीवन में क्या-क्या अच्छा कर सकते हैं
इसका विचार तक नहीं करते.
निभाने की बजाए दूसरों से अधिक प्रभावित दिखाई देते हैं. हम इस बात से दु:खी रहते
हैं की दूसरे लोगों की तरह धाराप्रवाह नहीं बोल पा रहे हैं. इस फेर में स्वयं की
योग्यताओं को, आशाओं को – एकदम भूल जाते हैं. जीवन में क्या-क्या अच्छा कर सकते हैं
इसका विचार तक नहीं करते.
स्वीकार्यता हमें सिखाती है
की हकलाना जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है. अगर हम जिंदगी की परीक्षा में
सिर्फ अपनी भूमिका, अपनी जिम्मेदारी, अपने प्रश्नपत्र पर काम करना शुरू कर दें
पाएंगे की सारी चीजें खुद-ब-खुद आसान होती जा रही हैं, सफलता हमारे द्वार पर दस्तक
दे रही है.
की हकलाना जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है. अगर हम जिंदगी की परीक्षा में
सिर्फ अपनी भूमिका, अपनी जिम्मेदारी, अपने प्रश्नपत्र पर काम करना शुरू कर दें
पाएंगे की सारी चीजें खुद-ब-खुद आसान होती जा रही हैं, सफलता हमारे द्वार पर दस्तक
दे रही है.
हमें सिर्फ हकलाहट ही नहीं
बल्कि जीवन की समग्रता को, सम्पूर्णता को महसूस करने की जरूरत है. हकलाहट जीवन का
केवल एक अंग है, पूरा जीवन तो हमारे ही हाथ में है. इसलिए सब कुछ भुलाकर उसे
सवारें, बेहतर बनाएं…
बल्कि जीवन की समग्रता को, सम्पूर्णता को महसूस करने की जरूरत है. हकलाहट जीवन का
केवल एक अंग है, पूरा जीवन तो हमारे ही हाथ में है. इसलिए सब कुछ भुलाकर उसे
सवारें, बेहतर बनाएं…
–
अमित सिंह कुशवाह, सतना (म.प्र.) 09300939758
अमित सिंह कुशवाह, सतना (म.प्र.) 09300939758
3 thoughts on “हम दूसरों की नक़ल क्यों करें?”
Sachin
(March 8, 2016 - 11:00 am)बहुत सुन्दर..
सब को प्रश्न पत्र अलग अलग मिला है.. कितनी सही बात कही है उस लेखक ने..
अमित जी आपका हर लेख सोचने को मजबूर करता है..
धन्यवाद्
Vishal Gupta
(March 9, 2016 - 4:38 am)umda….kya baat likhi amit ji "wah wah" kyuki humare naye haklaane waale bache abhi soch se paray hai wo ye mante hai ki haklaana unka sanpoorna ang hai lekin aapka post padne ke baad jarur unki soch badlegi
admin
(March 9, 2016 - 5:02 am)Remember Friends, every test in our life makes us Bitter or Better. Every problem comes to Make us or Break us. Choice is ours whether we become Victim or Victorious.
So take it as a challenge and work on it instead of comparing or depending on others.
Have a great day all TISA Friends.
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