अब 10 महीने हो गए मेरे पिताजी को एक्सीडेन्ट के कारण बेहोश हुए। अपने पिता को पल-पल जीवन के लिए संघर्ष करते हुए देखना बहुत ही दुःखद अहसास कराता है हर दिन। फिर भी जीवन की इस चुनौती को मैंने स्वीकार कर लिया है, आत्मसात कर लिया है। एक छोटे बच्चे की तरह मेरे पिताजी को देखभाल की जरूरत है, और मुझे यह करने में अब कोई असहजता महसूस नहीं होती।
कभी-कभार कुछ लोग घर पर आते हैं। कहते हैं कि किस्मत में लिखा था यह कष्ट सहना, भगवान ने आप लोगों के साथ बहुत अन्याय किया है! आदि-आदि। मैं इन सब बातों को अधिक महत्व नहीं देता। अरे! अगर किसी दूसरे की गलती से मेरे पिताजी का एक्सीडेन्ट हो गया तो, इसमें भगवान को दोष देना कतई ठीक नहीं है। सच तो यह है कि अधिकतर एक्सीडेन्ट या बीमारी के लिए मानवीय कारण ही जिम्मेदार होते हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि मेरे पिता ने पिछले जन्म में पाप किए होंगेे, जो इस जन्म में भोगना पड़ रहा है। एक सज्जन ने कहा कि मेरे पिता ने अपने जीवन में बहुत गलत काम किए हैं, इसलिए अब भोगना पड़ रहा है। मैं इन सब लोगों को हृदय से माफ कर देता हूं। ये नामझ लोग किसी के पाप-पुण्य का हिसाब-किताब रखने वाले कौन होते हैं?
आज मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि ईश्वर ने मेरे जीवन में इतनी सारी चुनौतियां दी हैं और इनका सामना करने के लिए साहस और क्षमता भी। मैं रोज सुबह 5 बजे उठता हूं। मार्निंग वाक, प्राणायाम, पिताजी की देखभाल, स्वयं और पापा के लिए भोजन पकाने के बाद घर से 25 किलोमीटर दूर ठीक सुबह 10.30 बजे आफिस पहुंच जाता हूं। मैं तो ईश्वर का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे हर दिन 24 घंटे का समय दिया है, जिसमें मैं हर काम बड़ी आसानी से और समय पर कर पाता हूं।
हकलाहट का भी एक चुनौती है। मैं हकलाने के कारण यह समझ पाया हूं कि हकलाना ईश्वर की एक ऐसी देन है जिसका आनन्द उठाने और जीवन में आत्मसात कर आगे बढ़ने की जरूरत है। मैं रोज कई नए लोगों से बातचीत करता हूं, पर अब हकलाहट मेेरे जीवन में बाधा नहीं है।
हम इंसान ही दुनिया में सबसे अधिक बोलते हैं। कभी आपने किसी दूसरे जानवरों, पक्षियों को इतना अधिक बोलते हुए सुना है। क्या कभी किसी फूल ने शोर मचाया कि वह खिल गया है, नहीं! जीवन में धाराप्रवाह बोलना जरूरी नहीं है, जरूरी है अर्थपूर्ण, उपयोगी बोलना। ऐसा बोलना भी क्या बोलना हुआ जिसका कोई मतलब ही न निकले।
जिन्दगी में चाहे हकलाहट हो या अन्य कोई चुनौती हमें उसका सामना करना चाहिए, दूर भागने से बचना चाहिए। तब हम खुद को पाएंगे कि हर कठिन से कठिन हालत का सामना आसानी से कर पा रहे हैं। चुनौतियों का सामना करने का भी एक अलग आनन्द है। समस्याओं से दूर भागने पर जो डर और अपराधबोध की भावना जन्म लेती है, उससे बचने का एक ही तरीका है चुनौतियों का डटकर सामना करना।
– अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758
3 thoughts on “Acceptence : जीवन में चुनौतियां देने के लिए ईश्वर का शुक्रिया”
Sachin
(November 30, 2014 - 7:18 am)बहुत सही
जीवन मे सब कुछ अवसर ही है..
admin
(December 1, 2014 - 5:32 am)बस केवल इस बात पर यकीन रखे कि यह भी बदल जयेगा . सब कुछ अनित्य है.
abhishek
(December 1, 2014 - 7:47 am)Dear Amitji, right now I am facing a difficult situation in my personal life. Reading your post has given me a fresh lease of hope and inspiration
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