कल
मैं अपने आफिस के कार्य से एक सरकारी स्कूल गया था। वहां पर मैं हेडमास्टर
से बातचीत कर रहा था। उस समय स्कूल की दो महिला टीचर पास में बैठी थी। वे
दोनों मुझे हकलाते हुए देखकर मुंह छुपाकर हंस रही थीं। मैंने जान-बूझकर इस
बात को अनदेखा किया। वापस आते समय मैं उन दो महिला टीचर की तरफ मुखातिब हुआ
और बोला- म . . . म . . . म . . . मेरा नाम अमितसिंह कुशवाह है और मैं
हकलाता हूँ . . . ! यह सुनकर दोनों टीचर आश्चर्य में पड़ गईं। और मैं वहां
से उठकर वापस आ गया।
इस घटना से मैं जरा भी निराश या दु:खी
नहीं हुआ। हम हकलाने वालों को अकसर इन हालातों का सामना करना पड़ता है। अपना
धैर्य खोने या मुझे कोई समझता ही नहीं का रोना रोकर हम अपना मन खराब करें,
इससे तो कहीं बेहतर है की हंसकर इस बात को अनदेखा करें। हाँ, अगर संभव हो
और समय हो तो हम सामने वाले से हकलाहट के बारे में बात करें, और यदि संभव न
हो तो इसे भूल जाएँ . . .
दूसरों के आईने से देखते हैं, यहीं पर हम सबसे बड़ी गलती करते हैं। हमें
अपना जीवन अपने लिए, अपने तरीके से जीने का अभ्यास करना चाहिए, हकलाना कोई
अपराध तो कतई नहीं है, फिर हकलाने पर डर किस बात का?
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5 thoughts on “मैं अपमानित होकर भी निराश नहीं हुआ . . . !”
admin
(February 1, 2013 - 11:18 am)Bahut khoob Amit ji. Aapke vichar sunkar man gad gad ho jata hai. Hame yahi soch tatha najariya haklane ke prati banana hai. Aapke hosle ko salam. Kripya ise banaye rakhe.
Sachin
(February 1, 2013 - 4:49 pm)Beautiful Amit. Without being rude or angry- you have taught something valuable to the two teachers, I am sure. Next time they meet a pws- they will be more thoughtful, I know..
Great!
Dinesh M
(February 2, 2013 - 2:40 am)gud
Sachin
(February 2, 2013 - 4:03 am)This is fit to go in next Samwad..
Write more such real life stories please..
premdeep singh
(February 3, 2013 - 6:31 am)Very good Amit
Carry on this attitude
Life will became far easier
We don't need any body's approval
All feeling like same, guilt
Are created by our own mind
We can handle it
We have every right to live life with dignity, peace and self respect
Good luck
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