मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में टीसा के स्वयं सहायता समूह की बैठक शिवाजी पार्क में रविवार, 9 जनवरी 2011 को संपन्न हुई. बैठक में अमितसिंह कुशवाह, भरत नेमा, विशाल लाड, महेश गुप्ता और अमित पराये उपस्थित थे.
बैठक में नए सदस्यों को टीसा की गतिविधिओं और हकलाहट के बारे में जानकारी अमितसिंह कुशवाह ने दी. श्री कुशवाह ने कहा की हकलाहट को नियंत्रित कर बेहतर संवाद की योग्यता प्राप्त करने के लिए निरंतर अभ्यास जरूरी है. जिस प्रकार एकलव्य ने सतत अभ्यास के द्वारा धनुर्विद्या में महारत हासिल की थी उसी प्रकार हकलाहट को नियंत्रित करने के लिए समर्पित होकर प्रयास करना आवश्यक है.
बैठक में नए सदस्य अमित पराये ने बताया की उन्होंने कई बार स्पीच थेरपी ली लेकिन उसे निरंतर जारी नहीं रख पाए और ना ही घर पर कोई प्रक्टिस कर पाए. साथ ही विशाल लाड ने कहा की एक माह तक थेरपी लेने के बाद भी जब कोई लाभ नहीं हुआ तो थेरपी लेना छोड़ दिया.
अमितसिंह कुशवाह ने बताया की हमें हकलाहट को छुपाने के बजाए उसे स्वीकार करने की कोशिश करना चाहिए, इससे हम इस चुनौती का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे. साथ ही हम कोई भी तरीका या तकनीक अपनाएं उसे पूरा समय देना ही होगा. हमें अपनी दैनिक दिनचर्या में हकलाहट को नियत्रित करने वाले अभ्यासों को शामिल कर लेना चाहिए.
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Amitsingh Kushwah,
Indore, (M.P.) Bharat.
Mobile No. 093009-39758
2 thoughts on “अभ्यास ही गुरू है…!”
Vaibhav Talegaonkar
(January 10, 2011 - 10:16 am)Dear Amit.congratulation
practice makes man perfect.hame is bat ko dhyan rakhna chahiye.ye sirf stammering ke liye hi nai hai balki life mein har place par use hota hai.u r doing very good job.keep writing
thanks
admin
(January 10, 2011 - 6:23 pm)yes Amit, u r right!! what changes our life is not what we know but by what we do right NOW!!
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