“ भयानक अनचाहे सपने “

आज क्लास में मुझें आपना रोल नंबर बोलना था | जैसे जैसे मेरा रोल नंबर पास आता जा रहा था , वैसे वैसे मेरी धड़कने तेज होती जा रही थी और क्लास में हलचल भी | मैं हकला न जाओ और यदी आज भी मैं हकलाया तो कही मेरी ऐबसंत न लग जाए | बच्चे बड़ी बेसब्री से मेरे रोल नंबर का इंतज़ार कर रहे थे की आज गौरव हकालायेगा या नहीं | कईयों ने तो हसना और इशारे करना शुरु भी कर दीया था | कई लड़कियां अक्सर मुझ पर हँसा करती थी , और वो आज भी में मुझ पर हस रही थी | लड़को की हसी का इतना दुःख नही होता था जितना लड़कियो की हसी का | ऐसे लगता था की वो मुझे जोकर समजते थे |

तभी मेरे रोल नंबर के बरी आई ओर मैं आज फिर चूक्गाया |बच्चो की हसी का ठीकाना न रहा और लगबघ सारी क्लास हे मेरा मजाक उड़ा रही थी | मेरा दोस्त बोला की ऐसा कब तक चलेगा | ऐसे तो तेरी अटेनडैनस कम होजायेगी | मेरा चेहरा लाल पड़ गया था शर्म के मारे |

तभी मेरी आँख खुल गयी , और मैने अपने आप को पलंग पे पाया | मैं सो रहा था | इस बरी यह सपना था | लेकिन कही आज कॉलेज में ऐसा तो नहीं होने वाला | हे भगवान आज बचा लेना | या आज कॉलेज की छुट्टी करवादो कैसे भी करके | तभी मुझे याद आया की , अरे मेरे कॉलेज तो खतम हो गए है | अब मुझे दुबारा कॉलेज नहीं जाना है | तब मन थोडा शांत हुआ और में दुबारा सो पाया |

जब मैं कॉलेज मैं था | मुझे अक्सर इस पारिस्थित से गुजरना पड़ता था | शायद आज भी उसका खौफ मुझेमे है | तभी ऐसा सपने मुझे कई बार आते है | रातो को चैन से सोने भी नहीं देते |

तुम्हारा मित्र
गौरव दत्ता

Post Author: Harish Usgaonker

7 thoughts on ““ भयानक अनचाहे सपने “

    Vinay

    (February 10, 2012 - 4:29 pm)

    कहानी लिखने मे काफ़ी माहिर हो तुम | अपने इस कला का विकास करो और अच्छे लेख लिखो |

    admin

    (February 11, 2012 - 7:03 am)

    Wah Gourav! Apnae to ham sab ki kahani likh dali.

    admin

    (February 11, 2012 - 7:38 am)

    bro mera bhi yahi haal hota tha ..mai bhi is se gujar chuka hu ..i can understand..

    admin

    (February 11, 2012 - 9:01 am)

    Wah Gaurav! kya likhte ho yaar, why don't you write a novel for stammerers 🙂

    admin

    (February 12, 2012 - 2:44 pm)

    very well expressed .
    and I stammer ,I stammer so badly that I can not speak my attendance and it is totally fine.

    admin

    (February 13, 2012 - 4:40 am)

    Wah mere sher. tum toh chaah gaye yaar. When my roll no. comes, a friend sitting near me he calls my roll no. instead of me.
    Gorav you can and must write a well novel.Think about it.

    admin

    (March 19, 2012 - 6:28 am)

    Bilkul hum sabhi ki kahani…

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