क्यों फिक्र गिरने की जब
बादलों को छूने का
हौसला है तुम में
,
बस निडर बनो और
बढ़ चलो!
बादलों को छूने का
हौसला है तुम में
,
बस निडर बनो और
बढ़ चलो!
नहीं होते परवाज़ सभी
के पास,
लग जायेंगे पंख पैरों में
,
उड़ने की चाह लेकर
बस उड़ चलो !
के पास,
लग जायेंगे पंख पैरों में
,
उड़ने की चाह लेकर
बस उड़ चलो !
मंजिल की फिक्र किस
बात की
बात की
जब रास्ते पर है तुम्हे
यकीं
हर मोड़ पर मिलेगी
एक नयी मंजिल
यह अभी से मान
के चलो !
यकीं
हर मोड़ पर मिलेगी
एक नयी मंजिल
यह अभी से मान
के चलो !
साथी साथ हो तो
अच्छा है
साथ ना मिले तो
एकला चलो !
अच्छा है
साथ ना मिले तो
एकला चलो !
चले हो तुम तो
फिर ठोकर का डर
क्यूँ !
चल दिया है तो
फिर शान से चलो
!!
फिर ठोकर का डर
क्यूँ !
चल दिया है तो
फिर शान से चलो
!!
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5 thoughts on “शान से चलो !!”
admin
(April 15, 2012 - 1:25 pm)Wow..Very inspiration poetry,Please share this type of poetry Rockford.
admin
(April 15, 2012 - 6:17 pm)That was really an inspiring poem. Could you please mention your name with the poem? I would love to include it in the Hindi Section of next Samvad edition. So it will also help me there 🙂
admin
(April 16, 2012 - 1:51 am)@Harish & @Mohit: Thanks.
@Harish:
Hi, this is Tanoy from TISA Bangalore. The poem is not mine. I was browsing few thgs and found it, and thought of sharing with fellow PWS. So, i think the credit should go the original author. I have added the link of the original post 🙂
admin
(April 16, 2012 - 3:51 am)Very nice and motivated words…thanks tanoy for sharing such a nice thought!!
admin
(April 16, 2012 - 4:28 pm)Thanks for the share, Tanoy. Really liked it!
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