अच्छी जिन्दगी जीने के दो तरीके हैं –
१. जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो . . .
या फिर
२. जो हासिल हुआ उसे पसंद करना सीख लो . . .
यदि हम बात हकलाहट कि करें तो हमें दोनों तरीकों पर गौर करना चाहिए। अगर हम अच्छी कम्नुकेशन स्किल चाहते हैं तो हमें लगातार कोशिश करनी होगी, थोड़ी मेहनत करनी होगी और धैर्य भी रखना होगा।
हम अपनी हकलाहट को पसंद करना यानी दिल से स्वीकार करना सीख लें, तो यह हमारे लिए बहुत फायदे की बात होगी। अकसर हम दूसरों से उम्मीद तो करते हैं कि वे हमारी हकलाहट को समझें और सपोर्ट करें, लेकिन हम खुद हकलाहट को अपना दुश्मन मानते हैं, उससे डरते हैं, लड़ते हैं या फिर दूर भागने कि कोशिश करते हैं।
टीसा के एक बैनर पर लिखा था – “हकलाओ मगर प्यार से । . . !”
तो अब आप भी हकलाहट से दोस्ती कर ही लें . . .
– अमितसिंह कुशवाह
Mo. 0 9 3 0 0 9 – 3 9 7 5 8
1 thought on “हकलाहट से दोस्ती करें . . !”
priyanshu
(February 23, 2012 - 12:21 pm)you are telling true
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