कहा जाता है कि हर किसी को अच्छा श्रोता यानी दूसरों कि बात को ध्यान से सुनाने वाला होना चाहिए. इंसानी फितरत हमेशा यह रहती है कि वह दूसरों को कम बोलने का मौका देना चाहता है और हर समय यही चाहता है कि दूसरे उसकी बात को ध्यान से सुने. हकलाने वाले साथी भी जब बोलने कि कोशिश करते है तो सामने वाला व्यक्ति हमारी बात को पूरी सुने बिना ही बोल पड़ता है, वह शब्द जो हम बोलना चाहते है. लोग हमसे हमारा बोलने का अधिकार छीन लेते है.
इस स्थिति से निपटने का एक उपाय है कि हम स्वयं एक अच्छा श्रोता बने. दूसरों कि बात ध्यान से सुने, उन्हें अपनी बात पूरी कराने का मौका दें. इसके बाद जब आप बोलेंगे तो शायद आपको भी बोलने का पूरा मौका मिलेगा. कई लोग जब आपस में बातचीत करते है और एक व्यक्ति शांत होकर सबकी बात सुनता रहता है लेकिन सबकी सुनाने के बाद जब वह बोलना शुरू करता है तो बाकी सब चुप होकर उसकी बात सुनते हैं.
– अमितसिंह कुशवाह
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2 thoughts on “पहले सुने फिर बोलें…!”
Sachin
(December 23, 2011 - 8:09 am)Very timely article. Many of us are just FULL of ourselves..We dont listen and therefore the other person moves on..
admin
(December 26, 2011 - 3:54 pm)nice …..many time i communicate much effectively then non pws because iam in phase of learning listening…good wake up call
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