जीवन में प्राणायाम का बहुत अधिक महत्त्व है. इससे मन में सकारात्मक विचार आते हैं और शरीर उर्जावान बना रहता है. आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में तो इसका महत्त्व और भी ज्यादा है.
हकलाहट को नियत्रित करने और बेहतर संवाद कौशल को विकसित करने में प्राणायाम बहुत ही सहयोगी हो. अक्सर हम समय की कमी या इन सबके उबाऊ होने को वजह मानकर प्राणायाम और हकलाहट से सम्बंधित दूसरी तकनीकों का अभ्यास कराने से बचाते हैं. लेकिन धीरे धीरे प्रैक्टिस करते रहने से यह हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाता है और हम इसे आनन्द के साथ कर पते हैं.
निरंतर और नियमित अभ्यास से हम हकलाहट पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए थोड़ी सी कोशिश और त्याग तो करना ही होगा…!
– अमितसिंह कुशवाह
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3 thoughts on “जरूरी है प्राणायाम…”
admin
(December 26, 2011 - 3:51 pm)bahut sundar lekh hai …amit ji mein pichele ek saal se eska fayada dekh raha hu…..
Sachin
(December 26, 2011 - 9:17 pm)प्राणायाम मुश्किल तो नही पर अक्सर लोग सही वातावरण के अभाव मे इसे जारी नही रख पाते..एक अच्छे सपोरतिव समूह की भूमिका से इन्कार नही किया जा सकता..
अच्छा प्रयास- जारी रखे
सचिन
admin
(December 26, 2011 - 9:46 pm)I totally agree with you on this..!!
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