पहली कहानी- सुबह का समय था| बारह साल की बच्ची
भूखी थी| रात में खाली पेट ही सो गयी,उस वक्त उसे ब्रेड का एक छोटा सा
टुकड़ा मिल पाया था, जो वह सड़क के किनारे पड़े कचरे से बिन कर लायी थीउसे सड़क
किनारे लगे हेंडपंप से मग में पानी लेकर उसे धोया था| लेकिन वह उस वक्त
भूख से बेहाल थी , वह अपने पांच साल के भाई को नहीं भूली| उसने ब्रेड के
तीन टुकड़े करके उसे दो टुकड़े उसे खाने के लिए दिए| उनके पास नाम मात्र को
जर्जर झोपड़ी, कार्टून(खोखा) था जिसे वह सोने के लिए जमीन पर बिछाती थी|
एक फटी सी चादर थी जिसे भाई बहन दोनों ओढ़ते थे| सुबह उठने पर उसने अपने भाई
को देखा और उसे ठीक तरह से चादर उढाई और पास पर ही हेंडपंप पर पानी पीने
चली गयी, लौटी तो देखा की भाई उठ चूका था, रो रहा था, जाहिर तौर पर भूख की
वजह से| बड़ी तकलीफ से उसके तरफ देखी, वह समझ नहीं पा रही थी की क्या
करे(हलाकि जब में यह लिख रहा था तो में भी कुछ समय के लिए भावुक हो गया
था)|
भूखी थी| रात में खाली पेट ही सो गयी,उस वक्त उसे ब्रेड का एक छोटा सा
टुकड़ा मिल पाया था, जो वह सड़क के किनारे पड़े कचरे से बिन कर लायी थीउसे सड़क
किनारे लगे हेंडपंप से मग में पानी लेकर उसे धोया था| लेकिन वह उस वक्त
भूख से बेहाल थी , वह अपने पांच साल के भाई को नहीं भूली| उसने ब्रेड के
तीन टुकड़े करके उसे दो टुकड़े उसे खाने के लिए दिए| उनके पास नाम मात्र को
जर्जर झोपड़ी, कार्टून(खोखा) था जिसे वह सोने के लिए जमीन पर बिछाती थी|
एक फटी सी चादर थी जिसे भाई बहन दोनों ओढ़ते थे| सुबह उठने पर उसने अपने भाई
को देखा और उसे ठीक तरह से चादर उढाई और पास पर ही हेंडपंप पर पानी पीने
चली गयी, लौटी तो देखा की भाई उठ चूका था, रो रहा था, जाहिर तौर पर भूख की
वजह से| बड़ी तकलीफ से उसके तरफ देखी, वह समझ नहीं पा रही थी की क्या
करे(हलाकि जब में यह लिख रहा था तो में भी कुछ समय के लिए भावुक हो गया
था)|
दोनों बच्चे कुछ महीने पहले ही
अनाथ हुए थे, उनकी माँ की कुछ समय पहले ही एड्स से मौत हुई थी| पिता को कभी
नहीं देखा| सड़क पर भीख मांगकर जिंदगी बिताते थे| लेकिन आज उनके जर्जर
झोपडी में खाने के लिए कुछ नहीं था| उस बच्ची ने अपने छोटे भाई को पीने के
पानी दी| लेकिन कुछ घूंट पीने के बाद वह फिर रोने लगा| बच्ची जानती थी की
उसे थोड़े खाने की व्यवस्था करनी ही पड़ेंगी| सो उसने एक कपडे की झोलो
बनायीं| उसमे रोते हुए भाई को बैठाया और पीठ पर बांध ली| सडको पर निकल पड़ी
खाने की तलाश में| उसे उम्मीद थी की कोई खाना या कुछ पैसे दे देंगा| या फिर
कचरे के ढेर से कुछ मिल जायेंगा|
अनाथ हुए थे, उनकी माँ की कुछ समय पहले ही एड्स से मौत हुई थी| पिता को कभी
नहीं देखा| सड़क पर भीख मांगकर जिंदगी बिताते थे| लेकिन आज उनके जर्जर
झोपडी में खाने के लिए कुछ नहीं था| उस बच्ची ने अपने छोटे भाई को पीने के
पानी दी| लेकिन कुछ घूंट पीने के बाद वह फिर रोने लगा| बच्ची जानती थी की
उसे थोड़े खाने की व्यवस्था करनी ही पड़ेंगी| सो उसने एक कपडे की झोलो
बनायीं| उसमे रोते हुए भाई को बैठाया और पीठ पर बांध ली| सडको पर निकल पड़ी
खाने की तलाश में| उसे उम्मीद थी की कोई खाना या कुछ पैसे दे देंगा| या फिर
कचरे के ढेर से कुछ मिल जायेंगा|
बच्चा कुछ देर रोने के बाद सो गया|
घंटो बीत गए| घंटों सड़क पर भटकते भटकते थकान से हल बेहाल हो चला था| वह
आराम करने की सोच रही थी की उसे अपनी हम उम्र की भीख मागने वाली दोस्त
मिली, उसने पीठ पर लदे भाई की तरफ देखते हुए पूछा तुम्हारे छोटे भाई को
क्या हुआ, वह कुछ ठीक नहीं दिख रहा है, इस सवाल से उस बच्ची को चिंता हो
आई| उसने पीठ पर लदे झोली को उतरा और भाई को गले से लगा लिया|| लेकिन वह
एक बेजान गुड्डे की तरह उसकी बाह में झूल गया|
घंटो बीत गए| घंटों सड़क पर भटकते भटकते थकान से हल बेहाल हो चला था| वह
आराम करने की सोच रही थी की उसे अपनी हम उम्र की भीख मागने वाली दोस्त
मिली, उसने पीठ पर लदे भाई की तरफ देखते हुए पूछा तुम्हारे छोटे भाई को
क्या हुआ, वह कुछ ठीक नहीं दिख रहा है, इस सवाल से उस बच्ची को चिंता हो
आई| उसने पीठ पर लदे झोली को उतरा और भाई को गले से लगा लिया|| लेकिन वह
एक बेजान गुड्डे की तरह उसकी बाह में झूल गया|
मुझे नहीं लगता की वह जिंदा है, उसके
दोस्त ने कही| सदमे में आ चुकी बच्ची फूट फूट कर रोने लगी| उसका भाई मर
चूका था, यकींनन भूख की वजह से, उन बच्चों को नहीं मालूम था की क्या करना
है, तो ये बात स्वयं सेवी व्यक्ति को पता लगी| उस व्यक्ति ने इन बच्चों
को खाने के लिए खाना दिया उअर मृत बच्चे को दफ़नाने की व्यवस्था की| और उस
बच्ची का नाम गुंजन रखा| और उसे स्कूल में एडमिशन करवा दिया|
दोस्त ने कही| सदमे में आ चुकी बच्ची फूट फूट कर रोने लगी| उसका भाई मर
चूका था, यकींनन भूख की वजह से, उन बच्चों को नहीं मालूम था की क्या करना
है, तो ये बात स्वयं सेवी व्यक्ति को पता लगी| उस व्यक्ति ने इन बच्चों
को खाने के लिए खाना दिया उअर मृत बच्चे को दफ़नाने की व्यवस्था की| और उस
बच्ची का नाम गुंजन रखा| और उसे स्कूल में एडमिशन करवा दिया|
उस व्यक्ति ने फसबूक पर यह वाकया
पोस्ट कर दी| उस पोस्ट को ढेरो कमेन्ट लाईक मिले| लोगो ने उनसे संपर्क
किया, लोगो ने आईडियाज दिए, उस व्यक्ति ने तय क्या की बच्चे और भूख से
नहीं मरेंगे उन्होंने एक संस्था बनायीं बेगर चाईल्ड केयर| बहुत से हाथ मदद
के लिए आगे आये| आज उस केयर यूनिट में लगभग ४० बच्चे है, जिनकी देखभाल और
शिक्षा का भार यह संस्था उठा रही है|
पोस्ट कर दी| उस पोस्ट को ढेरो कमेन्ट लाईक मिले| लोगो ने उनसे संपर्क
किया, लोगो ने आईडियाज दिए, उस व्यक्ति ने तय क्या की बच्चे और भूख से
नहीं मरेंगे उन्होंने एक संस्था बनायीं बेगर चाईल्ड केयर| बहुत से हाथ मदद
के लिए आगे आये| आज उस केयर यूनिट में लगभग ४० बच्चे है, जिनकी देखभाल और
शिक्षा का भार यह संस्था उठा रही है|
उस व्यक्ति का नाम नहीं छाप सकता क्योकि
उन्होंने मुझे बताया की उनके इस काम का लोग राजनितिक फायदा उठा रहे है और
वह अब इस काम को बिना किसी प्रचार के कर रहे है|
उन्होंने मुझे बताया की उनके इस काम का लोग राजनितिक फायदा उठा रहे है और
वह अब इस काम को बिना किसी प्रचार के कर रहे है|
इस व्यक्ति से मैंने प्रेरणा लेते हुए सेल्फ हेल्फ ग्रुप की के लिए कुछ
सोसल रिसर्च किया तो मेने पाया की कई लोग है जो मेरे आसपास स्पीच प्रॉब्लम
से पीड़ित है| मेने कुछ स्कूल में भी चर्चा की तो बहुत से बच्चे मिले जिनको
स्टेमर है| तो हम लोग सेल्फ हेल्फ ग्रुप की शुरुआत कर रहे है| इसमें स्कूल
के टीचरो का भरपूर होसला मिल रहा है|
सोसल रिसर्च किया तो मेने पाया की कई लोग है जो मेरे आसपास स्पीच प्रॉब्लम
से पीड़ित है| मेने कुछ स्कूल में भी चर्चा की तो बहुत से बच्चे मिले जिनको
स्टेमर है| तो हम लोग सेल्फ हेल्फ ग्रुप की शुरुआत कर रहे है| इसमें स्कूल
के टीचरो का भरपूर होसला मिल रहा है|
अनिल बेतुल मप्र
3 thoughts on “सपने भलाई के लिए हो तो हर कोई साथ देता है”
Sachin
(April 30, 2013 - 2:08 pm)I can empathise with that person. I had the good fortune of meeting and working with such noble souls in voluntary sector..
Good, keep updating about your SHG..
admin
(May 1, 2013 - 4:55 am)anil ji thank you very much for this post, good to know that our society have such kind of generous persons.
and anil ji ur doing very wonderful job by educating people
admin
(May 1, 2013 - 6:00 am)good write up Anil. Congratulations…!
Comments are closed.