एक रात सपने में मैंने किसी से बात करने समय उससे कहा कि मैं हकलाता हूं। यह सपना वस्ताव में मेरे चिंतन और व्यवहार में आए परिवर्तन का एक परिणाम कहा जा सकता है। कुछ समय पहले तक मुझे हकलाने के सपने आते थे और मेरी नींद अचानक खुल जाती थी। मैं डर जाता था।
वैज्ञानिक कहते हैं कि आप जैसा सोचते हैं उसी तरह के सपने आप रात में देखते हैं। हकलाहट के बारे में हमारी सकारात्मक सोच सही रास्ते की ओर ले जाने में मदद करती है।
अक्सर आपने देखा होगा कि हकलाने वाले ही नहीं बल्कि सामान्य लोग भी अपने जीवन से जुड़ी बातें छिपाने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए, कोई सामान्य परिवार का व्यक्ति बार-बार अमीर होने का दावा करता है तो उसे अपनी बात को पुख्ता करने के लिए तरह-तरह के झूठ बोलने पड़ते हैं। फिर भी उसका झूठ सामने आ ही जाता है।
इसी तरह हकलाहट को छिपाने की भरसक कोशिश कर हम सच से भागते हैं, उस पर पर्दा डालने की नाकाम कोशिश करते हैं। वह भी बिना वजह, सिर्फ इस डर और शर्मिंदगी के कारण कि लोग क्या कहेंगे? अरे, लोग तो तब भी कहेंगे जब आप बहुत महान् शख्स हो जाएं! महात्मा गांधी को देश एवं समाज की सेवा करने के लिए कई बार अपमानित होना पड़ा, लोगों की आलोचना को सुना।
मान लीजिए, आप सबके सामने हकलाहट को स्वीकार कर लें, तो इससे एक फायदा यह होगा कि हकलाहट को छिपाने का प्रयास नहीं करेंगे। और दूसरा, हकलाने का डर खत्म हो जाएगा। यह करने से हमें मालूम होता है कि हमारा हकलाने का भय तो काल्पनिक और अदृश्य भय था जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं।
हकलाहट को स्वीकार करने के बाद आप तनावरहित और हल्का महसूस करते हैं। एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
—
– अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
मो. 0 9 3 0 0 9 3 9 7 5 8
—
– अमितसिंह कुशवाह,
सतना, मध्यप्रदेश।
मो. 0 9 3 0 0 9 3 9 7 5 8
5 thoughts on “सपने में हकलाहट की स्वीकार्यता!”
admin
(May 8, 2013 - 7:00 am)अमित जी आपके विचार और लेखन का तरीका बहुत प्रभावशाली है|
आपने सही कहा जो हम बार बार सोचते रहते है,करते रहते है वो धीरे धीरे हमारे अंतरमन में चला जाता है और वो हमारे नियंत्रण से बाहर होता है|
और हकलाना भी इसी प्रकार का है, हमारे मानसिक शक्ति का अधिकांश हिस्सा हकलाने को छुपाने या ठीक करने में ही लगा रहता है|वह हमारे अंतरमन या सहज ज्ञान या सहजवृत्ति में चला जाता है|
इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है पर असंभव नहीं|
admin
(May 8, 2013 - 8:41 am)nice…..
amit ji can u plz tell address of site from where u translate text in hindi………thanks 🙂
admin
(May 8, 2013 - 8:43 am)लोगो ने तो जनक नंदिनी सीताजी पर भी इल्जाम लगा दिये थे इसलिये कभी भी दुनिया से प्रशंसा की उम्मीद मत रखो | so don't worry about लोग क्या कहेंगे?
Sachin
(May 10, 2013 - 2:16 am)Please use "read more" tag (Jump break button)..Thank you.
Editors
Vijay Kumar
(May 10, 2013 - 4:05 am)Amit jee you have a lot of positive thinks. good hindi blog
Comments are closed.