हेल्लो दोस्तों,,,,,,उम्मीद करता हु कि आप सभी ठीक होंगे। काफी दिनों के बाद लिखने का मौका मिला है और लिखने के लिए मसाला भी मिला है। सचिन सर ने मुझे बोला था कि कोशिश करना अपने पर्सनल एक्सपीरियंस लिखने की न कि ग्यानबाजी यानी फिलोसोफी लिखने की। क्योंकि ज्ञान तो हम सब में भरा पड़ा है और बात इम्प्लीमेंटेशन पर आ के हमारे तरह अटक जाती है।
सो शुरू करते है……….
परसो से मुझे फीवर हो रहा था और में बिस्तर पर सो रहा था। फीवर की वजह से म कॉलेज का कल्चरल फेस्ट भी नही अटेंड कर पाया पर अच्छी बात ये रही कि फीवर में मैंने काफी फ्रूट्स खाया। सामान्यता हम कोई चीज तभी करते है जब मुसीबत आती है। वैसे चाहे रोज जंक खाये पर बीमारी में तो फ्रूट्स ही याद आते है। यही बात हमारी हकलाहट पर भी लागू होती है। वैसे डॉक्टर सचिन ने हमें रोज टेक्निक्स i.e फ्रूट्स खाने को बोला है पर हम जब मुसीबत आती है तभी टेक्निक्स वगेरा को याद करते है।
कल रात में म ठीक हो गया था पर सोचा कि और रेस्ट करते है और मीटिंग में नहीं जाते है। सुबह 10 बजे मीटिंग के लिए निकलना था लेकिन 9 बजे तक कोई मूड नही था परन्तु तभी अंदर से आवाज़ आयी कि अगर आज तूने फीवर का बहाना बनाया तो फिर कभी बहाना दुबारा बना सकता है। और आज कोई इम्पोर्टेन्ट एग्जाम होता तो क्या तू छोड़ देता एग्जाम को फीवर की आड़ में। …… नहीं। …… तो फिर मीटिंग में क्यों नही जा रहा। ….. तभी में रेडी हो गया। ….चूँकि अपना मन एक घोड़े की तरह है। … अगर लगाम को थोड़ा ढीला छोड़ दो तो फिर ये बेकाबू में हो जाता है। … और इस घोड़े को दोस्त बना के रखोगे और थोड़ा बहला फुसला के रखोगे तो ये आपकी मनचाही यात्रा पूरी करवा सकता है। .. चाहे वो यात्रा कितनी लंबी और कठिन क्यों न हो। … अगर हम इस घोड़े से दुश्मनी ले लेंगे तो ये हमे चार कदम भी नही चलने देगा। और हम लोग अपने मन रूपी घोड़े से दोस्ती अपने आप से प्यार करके और दुश्मनी अपने आप से नफरत करके ले सकते है। …..जो की हम हकलाने वाले लोगों ने कर रखी है। …. अपनी हकलाहट से नफरत करके। … सो। .. हकलाओ मगर प्यार से। …… अब और ज्यादा ज्ञानबाजी नही…..
तो आज मीटिंग में आके एक अचीवमेंट हासिल किया। … मीटिंग में ड्रामा प्ले एक्टिविटी में मैंने हकले एक्टर का ऑडिशन दिया। ….. क्योंकि मै वोलंटरी स्टम्मेरिंग करने की सोच रहा था और मैंने की भी। मेरे को मजा आया इस चीज में। … चूँकि जब हम अपना मजाक उड़वाने की ठान लेते है और हमे कोई फर्क नही पड़ता कि कोई क्या सोचेगा। ..तभी रियल प्रोग्रेस संभव है। ….वैसे आज सिकंदर सर ने बड़ी अच्छी बात बोली कि जब तक आप टेक्निक्स को एक बोझ की तरह समझोगे तब तक परिवर्तन कठिन है। … टेक्निक्स को मजे ले के इस्तेमाल करो। … रियली ग्रेट इनसाइट्स। ……
मीटिंग काफी अच्छी रही और अभय शकर के कहे अनुसार मैंने आज केवल एक तकनीक – prolongation – को ही फॉलो किया अपने गॉल के रूप में। …… उसके बाद मैंने और अभय ने सबका फीडबैक दिया। ……
उसके बाद स्ट्रेंजर टॉक करनी थी तो मैंने सोचा कि हकलों की कंपनी को छोड़ के आज अकेले करते है। .. मैंने 4 ऑटो वालो से अग्रसेन की बावड़ी और विधान सभा का किराया पूछा फिर दो गार्ड से mac d के बारे में पूछा। …… मै आजकल रिवॉर्ड सिस्टम का फायदा फायदा उठा रहा हु macd के बर्गर खा खा कर। actually ab main अपने मन रूपी घोड़े से दोस्ती kar rha hu …usse burger khila khila kar…haha …… तीसा ने मुझे छोटी अचिएवेमेन्ट्स को सेलिब्रेट करना सिखाया है। ……
उसके बाद मैं रामकृष्ण आश्रम गया बुक्स खरीदने के लिए। तभी मुझे पता चला की वहां पे युथ फोरम का लेक्चर हो रहा है तो मैंने अटेंड करने का निर्णय लिया। वहां पे डिस्कशन हुआ और स्वामी विवेकानंद के बारे में पूछा गया ऑडियंस से तो सभी बताने लगे। ..मै सोचने लगा कि इस अवसर को हाथ से निकलने नही देना है और सोचा कि जो होगा देखा जाएगा । मैंने माइक लिया और prolongation करते हुए बोला। ……. my name is raman. swamiji was the great person . he was very p…………p…………p………..patriotic person. i got only one block on patriotic . forget about block. I am thankful to myself that i gathered the courage to speak in 30+ crowd at completely unknown place.
so change is coming in myself and i am feeling this change……..
Thanks TISA family for showing path to freedom and thanks to myself that i am walking on it…sometimes slow and sometimes fast….
3 thoughts on “My Journey – 5”
Amitsingh Kushwaha
(January 23, 2017 - 10:52 am)बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायी अनुभव हैं रमण जी आपके. सच तो यह है की हमारे आस पास बोलने के ढेरों अवसर मौजूद हैं, बस जरुरत है की हम उन्हें पहचान कर इस्तेमाल करें.
Sachin
(January 24, 2017 - 2:11 pm)Beautiful! I am happy that you took the mike and spoke in front of 30+ people; Happier still that you spoke about a man, who continues to inspire me… wow!
akshay rawal
(January 25, 2017 - 7:40 pm)raman bhai really me.me apse bahut inspire hua hu aaj thanks yaar