टीसा की 4 नेशनल कांफ्रेन्स पुणे स्थित झारा रिसोर्ट, खण्डाला में 3-5 October, 2014 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। कुछ प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया इस प्रकार रही –
1. यहां आकर कई सफल हकलाने वाले लोगों को देखकर प्रेरणा मिली। पहले ऐसा लगता था कि दुनिया में हकलाने वाला मैं ही अकेला हूं। नेशनल कांफ्रेन्स ने वाकई सकारात्मक उर्जा प्रदान की है। – उत्कर्ष त्रिपाठी, कानपुर।
2. एन.सी. में आकर यह जाना कि हम हकलाते हुए भी किसी से भी खुलकर बातचीत कर सकते हैं। – जाहबिया, मुम्बई।
3. मैंने अपने जीवन में बहुत सारे लोगों के सामने पहली बार स्पीच दिया। कई सारी स्पीच तकनीक सीखने का मौका मिला। हकलाहट के बारे में पाजीटिव होने का मौका मिला। – प्राची दुबे, मुम्बई।
4. एन.सी. कई हकलाने वाले साथियों से मिलकर बातचीत करने का अवसर मिला। यह बहुत अद्भुत अनुभव है मेरे लिए। – शिल्पा धागवाल, मुम्बई।
5. मैं हकलाने वाले व्यक्तियों की सहायता करने के लिए आई थी। यहां आकर सीखा कि धीरज के साथ दूसरे लोगों की बात सुनना भी बेहतर संचार के लिए जरूरी है। – प्रियंका श्रीवास्तव, मुम्बई।
6. मैंने एन.सी. में अपनी हकलाहट को स्वीकार करना सीखा है। यह मेरे लिए एकदम नई जानकारी और सीख है। – मनीष उपाध्याय, वर्धा।
7. एन.सी. का अनुभव बहुत ही अद्भुत और अद्वितीय है। – उमेश रावत, पलवल, हरियाणा।
8. 100 से अधिक हकलाने वाले साथियों के सामने बोलने का मौका मिला। इस अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। – दयानेश केकरे, गोवा।
9. यह बहुत ही प्रेरणादायी एन.सी. है। हकलाने के कारण मेरे बेटे उत्कर्ष त्रिपाठी ने बी.टेक. छोड़ने का मन बना लिया था। यहां आकर बहुत प्रेरणादायी अनुभव मिले हैं। यह बहुत अच्छा मंच है व्यक्तित्व विकास का। – ए.के. त्रिपाठी, लेक्चरर, केन्द्रीय विद्यालय, कानपुर देहात।
10. यहां आकर भारत के हकलाने वाले लोगों के विचार, अनुभव और उनकी सफलताओं के बारे में जानने का अवसर मिला। धन्यवाद। – Reuben Schuff, संयक्त राज्य अमेरिका।
11. एन.सी. ने मुझै हकलाहट के बारे में कई अच्छे और अद्वितीय अनुभव प्रदान किए हैं। सिरजे, बैंगलौर।
1 thought on “NC 2014 : प्रतिभागियों के फीडबैक”
Sachin
(October 7, 2014 - 5:22 pm)बहुत बढ़िया, अमित..
एन सी से जुड़े आपके और भी लेख पढने को मिलेंगे, इस उम्मीद के साथ…
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