हाल ही में तीसा द्वारा पूर्वोत्तर भारत के मशहूर शहर सिलिगुड़ी में 3 दिवसीय संचार कार्यशाला सम्पन्न हुई। कार्यशाला के बाद प्रतिभागियों के जीवन में आए सकारात्मक बदलाव एवं उनके द्वारा की जा रही कोशिशों पर चर्चा करने के लिए विशेष आनलाइन गूगल हैंगआउट मीटिंग का आयोजन 23 फरवरी 2020 रविवार को प्रातः 8 से 9 तक किया गया। मीटिंग का एजेण्डा इस प्रकार रहा:-
1. बाउंसिंग तकनीक का उपयोग करते हुए अपना परिचय देना।
2. पिछले सात दिनों के दौरान किए गए किसी साहसिक या चुनौतीपूर्ण कार्य को साझा करना।
3. संचार कार्यशाला में सीखी गई किन्हीं 3 बातों पर चर्चा।
4. कार्यशाला से वापस लौटने के बाद आपके भीतर आए बदलाव पर लोगों की प्रतिक्रिया।
5. बीबीसी रेडियो पर प्रसारित एक आडियो जो कि ग्रुप में शेयर किया गया था, उसे सुनकर आपने क्या सीखा।
इस गूगल हैंगआउट मीटिंग में निम्नलिखित साथी सम्मिलित हुए:-
1. अंजन घोष
2. अरूण
3. प्रदीप
4. सुमित
5. वृद्धि प्रतिम नियोगी
6. प्रिन्स कुमार
7. अमित।
मीटिंग में सभी साथियों ने एजेण्डा के अनुसार अपनी बारी अपने पर विचार साझा किए।
अंजन घोष ने कहा – संचार कार्यशाला में शामिल होने के बाद खोया हुआ आत्मविश्वास वापस आया है। जीवन में अनुशासन के साथ सभी चीजें करने की प्रेरणा मिली है। बीबीसी के आडियो का जिक्र करते हुए अंजन ने कहा कि यह सुनकर सीख मिली की हमें दूसरों को माफ करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। हमें अपनी स्वीकार्यता के स्तर को बहुत विशाल बनाना चाहिए।
प्रिन्स कुमार ने कहा कि पहले में क्लास में हाजिरी बोलने में बहुत डरता था। हर दिन इसके लिए संघर्ष करता था। अब मैं खुलकर हकलाकर क्लास में अपनी अटेन्डेन्स बोल पा रहा हूं, बिना किसी शर्म या झिझक के। यह सब संचार कार्यशाला का ही कमाल है।
सुमित कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हम थोड़े अलग अंदाज में बोल सकते हैं और ऐसा बोल सकते हैं, जो लोग समझ पाएं। हम हकलाते हुए एक कुशल संचारकर्ता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
अरूण, प्रदीप और वृद्धि ने भी बताया कि अब उनके जीवन से हकलाहट को लेकर संघर्ष कम हो रहा है और वे बोलने की नई तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं।
इस आनलाइन बैठक में तीसा के एक वरिष्ठ सदस्य शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हम खुद को दूसरे के सामने खुलकर हकलाने की इजाजत देकर अपने संघर्ष को खत्म कर सकते हैं। क्योंकि जब हम एक-एक शब्द बोलने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं तो हमें सुनने वाले लोग भी परेशान होते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता कि वे हमारे लिए क्या कर सकते हैं? इसलिए हमेशा खुलकर हकलाएं। साथ ही बोलते समय नजरें मिलाना, तेज आवाज में बोलना और मुस्कुराकर बोलना – ये तीनों बातें जरूर ध्यान रखें और अपनाएं।
अन्त में धन्यवाद के साथ बैठक समाप्त हुई।