गणित की कक्षा में अध्यापक ने विद्यार्थियों से सवाल पूछा कि एक इलेक्ट्रिक ट्रेन 30 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से जा रही है, एक खंबे को 10 सेकंड में पार करती है तो ट्रेन का धुआं किस तरफ बहेगा???
सभी विद्यार्थी सवाल का जवाब जल्दी जल्दी गणितीय नियमों से निकालने लगे।
तभी किसी ने उत्तर दिया कि इलेक्ट्रिक इंजन धुंआ नहीं देते। सभी के मुंह से निकला ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् हाँ!!!!!!!
ऐसे बहुत से मूवमेंट हमारी लाइफ में होते रहते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सुनने के लिए कान तो खुले रखते हैं लेकिन दिमाग नहीं!!!बहुत बुरा!!! है ना????
आवाजों को हम कानों से सुन सकते हैं लेकिन किसी कि बात सुनने कि लिए हमें अपना पूरा ध्यान वक्ता कि बात पर केंद्रित करना पड़ता है।
सुनना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, कोई भी व्यक्ति अगर सच में कुछ सीखना चाहता है, नवीनतम जानकारियों से अपडेट रहना चाहता है व प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपना स्थान बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे ध्यान से सुनना चाहिए।
सुनते वक्त सबसे बड़ी समस्या ध्यान भटकने से आती है ध्यान भटकने के आंतरिक और बाहरी दोनों कारक जिम्मेदार होते हैं, किसी की बात सुनते वक्त हम कुछ और सोचने लगते हैं, हमारा मन कहीं और रहता है यह आंतरिक कारण है , बात करते वक्त मोबाइल कंप्यूटर का इस्तेमाल करना या किसी भी काम में लगे रहना बाहरी कारण है, हमें बात सुनते वक्त ध्यान भटकाने वाले सभी कारणों को समाप्त कर देना चाहिए अर्थात हमें सुनते वक्त अपना पूरा ध्यान केवल वक्ता पर केंद्रित करना चाहिए व सभी कार्यों को रोक कर केवल सुनना चाहिए।
जब आप किसी से कुछ कहते हैं और उसका ध्यान कहीं और हो या किसी काम में लगा हो तो हम कैसा लगता है??? बहुत बुरा!!है ना?? इसलिए किसी से भी बात करते वक्त पूरा ध्यान वक्ता कि बातों में लगाएं, सुनते वक्त हमें ग्रहणशील मानसिकता (Receptive Mindset) रखनी चाहिए, अगर सुनते वक्त हम रक्षात्मक, आलोचनात्मक या बंद बुद्धि (Defensive, Judgmental, Closed Mind) को अपनाते हैं, हम नई सूचना को अपने मस्तिष्क में आने से रोकते हैं, कुछ भी हमारे दिमाग में नहीं आ सकता। हमें हमेशा नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए, हमारे अंदर हर वक्त नया सीखने की जिज्ञासा बनी रहनी चाहिए तथा हमें विश्वास रखना चाहिए कि वक्ता के पास कुछ-न-कुछ सिखाने के लिए है।
सुनते वक्त आई कांटैक्ट बनाकर, हुँकारी भरकर और अपने एक्सप्रेशन के साथ वक्ता को विश्वास दिलातें रहे कि आप उनकी बात ध्यान से सुन रहे हैं।
~ जितेंद्र गुप्ता,
कोआर्डिनेटर, दिल्ली स्वयं सहायता समूह