हकलाहट के सकारात्मक पहलू . . . !

तीसा (TISA)से जुड़े एक साथी ने पिछले दिनों मुझसे पूछा की हकलाहट से आपको कभी कोई फायदा हुआ है? यह मेरे लिए निश्चित तौर पर बड़ा अजीब सवाल था, क्योकि अब तक मैंने हकलाहट से होने वाले किसी लाभ के बारे में कभी सोचा ही नहीं था या यूँ कहिए के मन में कभी विचार ही नहीं आया की हकलाहट में भला कोई अच्छी बात हो सकती है.

पर आज मुझे अहसास हो रहा की हाँ! हकलाहट के कई सकारात्मक पहलू हैं, जिनके बारे में यदि हम गंभीरता से विचार करें तो यह पता चलता है की हकलाने वाले लोग सामान्य वाक् छमता वाले लोगों से कही बेहतर हैं.

सभी धर्मों और नीति उपदेशों में मितभाषी होने यानी कम बोलने और ज्यादा सुनने की बात कही गई है, लेकिन लोग करते ठीक उल्टा हैं. ज्यादा बोलते हैं, यहाँ तक की दूसरे व्यक्ति को बोलने का मौका ही नहीं देते. वहीं हकलाहट दोष से ग्रसित व्यक्ति सामने वाले की बात को ध्यान से सुनते हैं और उचित अवसर पर ही बोलते हैं.

आप ट्रेन में हों, बस में हों, कतार में लगे हों या अपने ऑफिस में बैठे हों, थोडा सा मौका मिलते ही सरकार को कोसना, व्यवस्था की आलोचना करना, किसी व्यक्ति विशेष की बुराइयों या कमियों पर घंटों बात करने पर भी लोग नहीं थकते हैं, जबकि हकलाने वाला व्यक्ति इन सब बातों से बचने की कोशिश करता है, क्योकि उसकी पहली प्राथमिकतायह होती है की वह अपनी हकलाहट की समस्या को छुपा सके.

हकलाने वाला व्यक्ति फ़ोन और मोबाइल पर काम पड़ने पर ही बात करता है, इससे धन की बचत होती है और कान पर कम असर होता है, क्योकि अधिक देर तक फ़ोन पर बात करने से बिल बढ़ता हैऔर धीरे-धीरे कान की सुनने की शक्ति कम होने लगती है.

हकलाहट के कई अच्छे पहलू हैं जो हमें यह शिक्षा देते हैं की जीवन में वाणी का क्या महत्त्व है और हमें कब और कितना बोलना है.

– अमितसिंह कुशवाह,
स्पेशल एजुकेटर (एच.आई.)
इंदौर, मध्यप्रदेश (भारत)
मोबाइल : 0 9 3 0 0 9 – 3 9 7 5 8

विकलांगता से सम्बंधित मेरे एक ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
www.specialcitizenindia.blogspot.com

Post Author: Harish Usgaonker

4 thoughts on “हकलाहट के सकारात्मक पहलू . . . !

    Sachin

    (August 31, 2010 - 4:53 pm)

    डा तरुण का यह विडिओ इसी बारे में है : वह बता रहे हैं कि कैसे रैगिंग के दौरान उन्हें हकलाने से बहुत मदद मिली !!
    http://www.youtube.com/watch?v=QU-Dsqjw-0k

    admin

    (August 31, 2010 - 6:26 pm)

    वाकई अमित और सचिन, हकलाने के कई फायेदे हैं I अगर मैं नहीं हकलाता तो इतने सारे बहतरीन लोगों से कैसे मिलता 🙂

    admin

    (September 1, 2010 - 7:06 am)

    Nice observation dude, keep writing.

    admin

    (September 1, 2010 - 8:20 am)

    padh ke aacha lagaa…:)

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