SHG मीटिंग्स को रोचक और उपयोगी कैसे बनाएं?

TISA की SHG मीटिंग्स को स्वयं या दूसरे मेम्बर्स के लिए दिलचस्प बनाए रखना एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना हर PWS को, जो किसी भी SHG से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है, कभी न कभी करना पड़ता है| इंदौर और फिर दिल्ली में SHG का हिस्सा रहते हुए, मेरे साथियों को भी कुछ ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हर कभी हमने अपने आपको एक ऐसी परिस्थिति मै पाया जब शहर में SHG के लगभग 50 या अधिक सक्रिय सदस्य हैं, लेकिन 5 लोग भी साप्ताहिक SHG की बैठक में उपस्थित नहीं थे। जब कभी मुझे भी SHG मीटिंग के संचालन का मौका मिला, मैंने इस समस्या को महसूस किया|  
 
एक SHG शुरू करना या उससे जुड़ना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन लंबे समय तक उसी उत्साह के साथ SHG को जारी रखना और आगे ले जाना उससे से भी बड़ी चुनौती है। SHG मीटिंग्स तथा अन्य ऐसे इवेंट्स में कुछ महीनों की सक्रिय भागीदारी और नियमित उपस्थिति के बाद, यह देखा गया है कि PWS उस रुचि और उत्साह को बरक़रार नहीं रख पाते| Self Help एक धीमी गति से काम करने वाली पर प्रभावी दवा है। तभी स्वयं सहायता को एक निरंतर किये जाने वाले अभ्यास की संज्ञा दी है| कुछ लोगो के लिए ग्रुप मै अनुपस्थिति और अभ्यास की अनियमिताएँ कभी-२ अपराधबोध और अवसाद को भी जन्म देती हैं|  
 
नए और खासतौर पर पुराने मेंबर्स को लिए SHG मीटिंग्स को दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण बनाये रखने के लिए इसमें निरंतर नए और इनोवेटिव विचारों, सुझावों को शामिल किये जाने की जरुरत है। यहाँ यह बिलकुल न समझा जाये की यह केवल एक SHG संचालक की जिम्मेदारी है, बल्कि प्रत्येक SHG सदस्य की भी उतनी ही जिम्मेदारी है कि SHG बैठक के एजेंडा के साथ लगातार प्रयोग हो और हर मेंबर अपने आप को चुनौती देने के लिए तथा औरों की रुचि बनाये रखने के लिए नए-२  विचारों को सांझा करे। मुझे लगता है यह एक डायनामिक नेचर की प्रॉब्लम है और इस पर सभी SHGs के लगातार पारस्परिक समन्वय तथा सामूहिक विचारों के निरंतर आदान-प्रदान की जरुरत है|
 
कृपया इस तरह के विचारों को ब्लॉग, सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते रहें ताकि दूसरे भी इसका लाभ उठा सकें। इस विचारो के आदान प्रदान के सिलसिले को जारी रखने लके उद्देश्य से मै एक एक्टिविटी को यहाँ शेयर करना चाहता हूँ| जिसे मैंने भोपाल में NC के दौरान देखा और जिसने मुझे काफी प्रभावित भी किया।
  • यह एक्टिविटी एक भाषण प्रतियोग्यता या ओपन माइक सेशन की तरह ही है। तो आप इसे कुछ भी नाम दे सकते हैं|
  • इसके बारे में मुझे जो सबसे ज्यादा पसंद आया, वह यह है कि इसमें सभी मेम्बर्स की कुछ न क़ुछ भूमिका है। इसलिए एक दर्शक होने के अलावा अन्य सदस्य भी इसमें एक सक्रिय भूमिका निभाएंगे। तो यह एक भाषण मात्र बनकर नहीं रह जाएगा।
  • इस गतिविधि में कुल 5 से 6 भूमिकाएँ निभानी होंगी। भूमिकाएँ हैं —
1- स्पीकर (Speaker)

  • वह जो अपनी पसंद या संचालक की पसंद के विषय पर सीमित समय के लिए भाषण देगा  

2- संचालक (Facilitator)

  • जो इस पूरी एक्टिविटी को नियंत्रित एवं संचालित करेगा या करेगी|  
  • संचालक ही वक्ताओं का परिचय और उन्हें बोलने के लिए चुनेगा और विषय भी देगा  
  • वह 5 से 10 रचनात्मक विषयों के साथ आएंगे। और ये संचालक पर निर्भर करता यही की वो इसको Prepared स्पीच बनाना चाहता है या Extenpore या कुछ!
3- टाइम ट्रैकर (Time Tracker)

  • टाइम ट्रैकर इस गतिविधि का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है।
  • लोग आमतौर पर स्पीच देते समय टाइम की सीमा भूल जाते हैं। प्रोफेशनल लाइफ में पब्लिक स्पीकिंग मै आपको समय का बहुत ख्याल रखना पड़ता है और इस बात का भी कि आपने अपने दिए गए समय का कैसे उपयोग किया। यह एक कला है जिसे हम सभी को सीखना चाहिए।
  • एक टाइम ट्रैकर के पास तीन तरह के संकेतक होंगे। जैसे हरा, पीला और लाल।
  • मान लीजिये कि स्पीकर को दिया गया कुल समय 5 मिनट है। तो जब 2 मिनट शेष होंगे तो टाइम ट्रैकर ग्रीन साइन दीखएगा। पीला संकेत इंगित करेगा कि 30 सेकंड शेष हैं। और रेड साइन का मतलब है कि आपको तुरंत बोलना बंद करना होगा| 

4- भाषा और व्याकरण परीक्षक (Language/Grammar Checker)

  • वह भाषण के दौरान भाषा और उसके व्याकरण में किए गए संभावित सुझावों, सुधार और गलतियों का निरीक्षण करेंगे और उन्हें कैसे सुधार किया जा सकता है। 
  • इस व्यक्ति को अपनी राय में विनम्र लेकिन ईमानदार होना होगा।

5- बॉडी लैंग्वेज ऑब्जर्वर (Body language Observer)

  • वह हकलाने के सेकेंडरी इफेक्ट्स और पूरी बॉडी लैंग्वेज और इसके बारे में संभावित सुझावों को देगा| 
  • इस व्यक्ति को अपनी राय में विनम्र लेकिन ईमानदार होना होगा।

6- जज (Judges)

– बाकी सभी सदस्य ये चुनाव करेनेगे की किसका भासन नियमित समय के अनुसार और्सबसे प्रभावी था| और पहले, दूसरे और तीसरे वक्त को कोई इनाम दिया जा सकता है| 
~ प्रमेन्द्र सिंह बुंदेला,
जयपुर (राजस्थान)

Post Author: Amitsingh Kushwaha

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