बदलाव

अक्सर हमारा मन
तैयार नहीं होता
बदलाव के लिए
एक अनचाहा भय महसूस होता है
अपनी काबिलियत पर
अपने हुनर पर
और अपने आप पर
इसलिए हम बचते रहते हैं बदलावों से
झेलते रहते हैं कुंठा और निराशा
जिन्दगी में अपनी विफलताओं के लिए
दोष देते रहते हैं दूसरों को
हम नहीं समझ पाते
अपने अन्दर की ताकत
चुनौतियों का सामना करने से घबरा जाते हैं
ऐसा व्यक्ति क्या जीवन का आनन्द ले सकेगा?
मेरी समझ में संघर्ष ही संघर्ष है
जीवन का सही उद्देश्य
जितना खुद को तपाएंगे
उतना ही निखरते जाएंगे
सुख और भोग में वह खुशी नहीं
जो निरंतर चलायमान रहने में है
बदलावों को स्वीकार करना
और खुद में बदलाव करना
बड़ी बात है
लेकिन यही जीवन का सत्य है
और जीवन का सार है!

– अमितसिंह कुशवाह
सतना, मध्यप्रदेश।
09300939758

 

Post Author: Amitsingh Kushwaha

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