धिस इस माय स्टाईल..

मेरी बेटी स्वरा भी हकलाती है. बचपनसे. ओव्हर्ट है. मैने मेरी तरफ से उसे मै समजाता हू. बहुत बाते करता हू उससे.
उसका सून के लेता हू. बडे प्यार से. कभी कभी एक वाक्य बोलने के लिये वो पांच मिनिटं से ज्यादा समय लेती है.
फ़िर भी मै उतनी ही सहजता से उसे सूनता हू. उसे समजाता हू. अपने तरिके से.
समजती है वो..
कभी रोती है
पर बोलना नही छोडती वो
कभी तुटती है कभी बिखरती है..
महज दस साल कीं है वो
मै उसको समजाता हूं.
अपना बोलनेका एक अलग स्टाइल है
ऐसेंही हम बोलते है
बिनदास्त रहनेका
खुल के बोलने का..
ये सूनके मुस्कुरा देती है वो..
उसका नाम स्वरा है..
उस दिन मुझसे पुछ बैठी वो..
क्या मतलब है स्वरा का?
मैं बोला..
स्वरा याने मिठी आवाज..
जो सून के मन में थंडक आवे
जो आवाज मन को भावे
जिसे सूनने को सबका दिल चाहे..
ये सूनकर हस पडी
और मै न चाहते हुवे मन में रो दिया..

आज स्कूल से आई और लंपट मुझसे गयी..
मैने कुछ ना पुछा उसे..
कुछ अंतराल के बाद खुद बोली मुझसे..
” पता है पापा आज स्कूल में क्या हुवा?
मैने कुछ ना पुछा..
फिर बोली..
मेरे फ्रेंड मुझे हरदम बो बो बो बोलते थे कि स्व स्व स्व… स्वरा तू ऐसें क्यो बात करती है?

व्हा व्हा व्हाय यू स्प स्प स्पिक लाईक दॅट?
मेरे पास कुछ जवाब न था पापा…

मैं सहमाकर खुदको कोस रहा था..
मेरा बचंपन फ्लॅश बॅक की तरह सामने आ रहा था..
मन में एक ही खयाल..
अब आगे क्या? कही मेरा अतिथ तो नही सामने आयेगा मेरे?
मेरा अतिथ हंस रहा था मुझपे…
मैं उसकी नजरे टाल रहा था..
स्वरा मुझे देख रही थी..
कूछ तो सोच रही थी…
मैने धीरज समेंटकर उसे देखा…
उसकी आखो में अजीब सा नझारा देख रहा था मैं..
मेरा हाथ हाथोमे पकडे मेरी स्वरा मुझसे बोली..
.

पापा आ आ रिसेस में आजभी फ्रेंड्स ने पुछा तू तू तू ऐसें क्यो बोलती है?
मैने कहा..
धिस इस माय स्टाईल.. इफ यू यू वॉन्ट टू लर्न इट देन आई आई आई विल टिच यू ऑल…

स्वरा की आखे अब चमक रही थी..
ऐसी आखे ना मैने आजतक देखी ना सुनी..
वो बोली…
उसके बाद किसिने मुझे पुछा नही की स्व स्व स्व स्वरा तू ऐसें क्यो बोलती है?

आज बेटी ने कभी ना भुलने वाला पाठ पढाया.

सही मायनो में मुझे सिखा गयी मेरी 10 साल की टीचर..
काश मैं जब उसकी उमर का था तब ये सिख पाता? जिंदगी कुछ और होती हम भी कुछ और होते…

अपने व्यंग को कभी धुत्काराना नही उसे समजाना और उसे अपनी ताकत बनाना.

मैं देखता रह गया और वो मुझे सिखाके बॅडमिंटन खेलने चली गयी..

संतोष

TISA Mumbai SHG

Post Author: Dhruv Gupta

2 thoughts on “धिस इस माय स्टाईल..

    Satyendra

    (March 31, 2017 - 9:13 pm)

    बेहद मारमिक..
    कितना सकारातमक…

    Amitsingh Kushwaha

    (April 1, 2017 - 6:12 pm)

    Badhai ho Santosh Ji, Bahut hee sunder aur dil ko chhune wala anubhav hai aapaka. Dhanyawad…

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