“Your story may not have good start , but it is your sole responsibility to make its end GREAT”
जी हाँ , हम सब……..के जीवन में……. कुछ न कुछ……. प्रोब्लेम्स जरूर……. रहती है…….. परन्तु ……जो व्यक्ति …….अपनी समस्या ……… से ऊपर…… उठ के …….उस पर…… विजय पा ……..लेता है…… वही असली …….मायने में ……जीवन जीता है /
………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. किसी भी …..समस्या का …….सारा खेल……. हमारे दिमाग…….. का है ……., जिस हिसाब …….से हमारा ……दिमाग सोचता है ……..और तर्क देता है……. हम उसी तरह…… से काम करते है………. – मान लो की ……..एक अजनबी से……. पता पूछना है……. तो इस के दो…… पहलु है – हमारा …….दिमाग एक तरफ ……..ये तर्क देगा ……..की छोड़ो ,…….. गूगल पे देख ………लेते है ,……. ये रास्ता शार्ट…….. टर्म के ………लिए तो ………सही है…….. किन्तु ललललललल लॉन्ग tttttttttttटर्म के लिए हमारे डर kkkkkkkkको और पोषण dddddddदेता है – हरएकबातचीतयातोहमारी sssssssssssस्पीच को iiiiiiiiiiiiiiइम्प्रूव करतीहैयाफिरउसेऔर bbbbbbbbbbबिगाड़ देती है aaaaaaaaaaaअगर हम sssssssssसचेत रूप से उस वार्तालाप में इन्वॉल्व हो जाएं और देखे की मेरे मन की स्थिति क्या है , मैं कैसे महसूस कर रहा हु , कहीं मेरे अंदर एक आवाज़ तो नहीं बोल रही की अगर हकला गया तो क्या होगा –
दोस्तों मैं ये बात अच्छी तरह से समझता हु की हमे पता है की हमे क्या करना है परन्तु जो करना है उसमे मेहनत लगती है – सांस का अभ्यास करना किसे अच्छा लगता है , हम उसकी जगह एक गाना सुनना पसंद करते है – किन्तु अभ्यास के बिना हमारा अच्छा संचारक बनना मुश्किल है – बात ये है की हम सफल आदमी की आज की स्थिति देखते है परन्तु उसका अभ्यास नहीं देखते – उसके सफल होने के पीछे सालों की मेहनत है –
दोस्तों पहले के कुछ वाक्य एक ऐसे हकलाने वाले आदमी के है जो पॉसिंग का उपयोग करता है , अगले कुछ वाक्य हकलाने वाले व्यक्ति के है जो पुरे ज़ोर शोर से हकलाता है उसका स्पीच पर कोई कण्ट्रोल नहीं है , अगले कुछ वाक्य नार्मल स्पीकर के है जो हर हकलाने वाला आदमी बनना चाहता है – एक हकलाने वाला व्यक्ति ये सोचता है की वो ठीक बोल लेगा बिना कोई टेक्निक उसे किये पर इस नार्मल दिखने के चक्कर में उसकी स्पीच आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो जाती है , और वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता – उसकी हालत पिंजरे में बंद चूहे जैसी होती है …..
हम तकनीक को उपयोग में क्यों नहीं लाते – नार्मल दिखने के लिए , अपनी हकलाहट छुपाने के लिए …..
ज़रा सोचते है की तकनीक का उपयोग करने से क्या हो जाएगा
– हम बिना स्ट्रेस के अपनी बात रख पाएंगे
– हम आउट ऑफ़ कण्ट्रोल स्टम्मेरिंग से बचेंगे
– हम कम शर्म महसूस करेंगे – क्यूंकि हमारे चाहने या न चाहने से स्टम्मेरिंग रुकने वाली नहीं है – अगर तकनीक का उपयोग नहीं करेंगे तो ज्यादा बुरा हकला बनेगे …..ज्यादा स्ट्रेस आएगा .. हमे हकलाहट छुपाने में अपनी ऊर्जा लगानी पड़ेगी …..
मुझे तीसा से जुड़े हुए ३ साल हो गए है ,,,, मैं सब तकनीक की थ्योरी जानता हु पर कभी प्रैक्टिस नहीं की ….मुझे पूरा विश्वास है की अगर मैं 1 साल भी तकनीक आज़मा लू तो हकलाहट का नामो निशान नहीं रहेगा … पर फिर भी 99 % लोग जिनमे मैं भी शामिल हु ये सब नहीं करेंगे क्यूंकि हमे आदत हो गयी है धक्का मार ज़िंदगी की , हमने मान लिया है अपनी स्पीच के भाग्य को …..
किन्तु हमे अपनी हार को चुनौती देनी पड़ेगी , हमे लड़ना पड़ेगा अपने आप से , उन विचारों से जो हमे रोज़ ये बोलते है की तुममे कुछ कमी है , तुम सही नहीं बोल सकते हो … तो दोस्तों एक नयी ऊर्जा के साथ हमे फिर से काम में जुट जाना होगा … बस इतना ही करना है की हर नई बातचीत में एक नया उत्साह होना चाहिए ,, एक नया सुधार दिखना चाहिए …. एक के बाद एक बातचीत सुधरती जाएगी और देखते ही देखते हम अच्छे संचारक बन जायेंगे ….
हर दिन सूरज निकलता है और ढल जाता है – वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता – इसलिए हमे अपनी समस्या से डटकर मुकाबला करना पड़ेगा क्यूंकि टालमटोल और ढिलाई में हमने कई साल गवां दिए है – वो वक़्त जिसमे ज़िंदगी को भरपूर जीना था , हमने अकेलेपन में गुज़ारा है , अपने ही बनाये जाल में उलझकर –
वक़्त है की उस जाल से बहार आये और जीवन का भरपूर मज़ा ले /
सफर यूं ही चलता रहे ,
रमन मान 8285115785